मई महीने में खुदरा और थोक महंगाई में बड़ी बढ़त दर्ज की गई है। ताजा आंकड़ों के मुताबिक खाने का सामान महंगा होने की वजह से खुदरा महंगाई बढ़ी है। वहीं, कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी के चलते थोक कीमतों पर आधारित महंगाई की दर में इजाफा हुआ है।

खुदरा महंगाई के आंकड़े: आंकड़ों के मुताबिक मई में खुदरा महंगाई उछलकर 6.3 प्रतिशत पहुंच गयी, अप्रैल में 4.23 प्रतिशत पर थी। मई की महंगाई दर भारतीय रिजर्व बैंक के संतोषजनक स्तर से ऊंची है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के आंकड़े के अनुसार खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर मई में 5.01 प्रतिशत रही। यह पिछले महीने के 1.96 प्रतिशत से कहीं अधिक है। सरकार ने आरबीआई को खुदरा महंगाई 2 प्रतिशत घट-बढ़ के साथ 4 प्रतिशत पर बरकरार रखने की जिम्मेदारी दी हुई है।

रिजर्व बैंक ने 2021-22 में खुदरा महंगाई दर 5.1 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। इसके 2021-22 की पहली तिमाही में 5.2 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 5.4 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 4.7 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 5.3 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है। आपको बता दें कि आरबीआई मौद्रिक नीति पर विचार करते समय मुख्य रूप से खुदरा मुद्रास्फीति पर गौर करता है। केंद्रीय बैंक ने इस महीने द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर में कोई बदलाव नहीं किया।

थोक महंगाई के आंकड़े: मई 2021 में थोक महंगाई की सालाना दर (मई, 2020 के मुकाबले) में बढ़कर 12.94 प्रतिशत हो गई, जो मई 2020 में निगेटिव 3.37 प्रतिशत थी।’ मई 2021 में महंगाई की उच्च दर मुख्य रूप से कम आधार प्रभाव और पेट्रोल, डीजल, नेफ्था, फर्नेस ऑयल आदि पेट्रोलियम उत्पादों और विनिर्मित उत्पादों की कीमतों में पिछले वर्ष के समान महीने की तुलना में वृद्धि के कारण है।

क्या रही वजह: इस अवधि में ईंधन और बिजली की महंगाई दर बढ़कर 37.61 प्रतिशत हो गई, जो अप्रैल में 20.94 प्रतिशत थी। विनिर्मित उत्पादों की मुद्रास्फीति मई में 10.83 प्रतिशत रही, जो पिछले महीने 9.01 प्रतिशत थी। खाद्य पदार्थों की मुद्रास्फीति मई में मामूली रूप से कम होकर 4.31 प्रतिशत पर आ गई। हालांकि, इस दौरान प्याज महंगा हुआ।