बड़े नोटों को अमान्य किए जाने के एलान के बाद मांग में भारी गिरावट की वजह से 25 नवंबर को खत्म पखवाड़े में बैंक कर्ज में 61 हजार करोड़ रुपए की गिरावट दर्ज की गई है। भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक कर्जदारों ने इस अवधि में 66,000 करोड़ रुपए बैंकों में जमा भी कराए हैं। कुछ डिफाल्ट खातों में कर्ज भुगतान किया गया। रिजर्व बैंक के अांकड़ों के मुताबिक बैंकिंग प्रणाली का बकाया कर्ज 25 नवंबर को 72.92 लाख करोड़ रुपए था। पांच सौ और एक हजार रुपए के नोटों को अमान्य करने का एलान आठ नवंबर को किया गया। नौ नवंबर से 25 दिसंबर तक के पखवाड़े में बैंकों में 4.03 लाख करोड़ रुपए की राशि जमा कराई गई।
यह राशि 9 दिसंबर तक 12 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गई। सरकार की सारी गणनाएं बिगड़ती नजर आ रही हैं। विमुद्रीकरण का समर्थन करने वालों का शुरू में मानना था कि अप्रचलित किए गए 15.4 लाख करोड़ रुपए मूल्य के नोटों में से कम से कम 20 फीसद या तीन लाख करोड़ रुपए से अधिक राशि वापस नहीं आने वाली है। इससे सरकार को भारी फायदा होने जा रहा है। उनका कहना था कि इस राशि को रिजर्व बैंक की बैलेंस शीट से बट्टे खाते में डालकर उसे अधिशेष (डिविडेंड) के रूप में सरकारी खजाने में जमाया कराया जा सकेगा। अब प्रतिबंधित नोटों के मूल्य के लगभग समराशि बैंकों में जमा हो गई है तो उक्त सारी गणनाएं बेमानी हो चुकी हैं।
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