भाजपा की अगुवाई वाली राजग सरकार के पहले पूर्ण बजट को विपक्ष ने आज ‘‘खोखला और दर्दनाक’’ बताते हुए कहा कि इसमें दृष्टिकोण का अभाव है। साथ ही विपक्ष ने आरोप लगाया कि यह बजट भाजपा सरकार की अमीरों और कॉरपोरेट को ‘‘धन वापसी’’ है।

लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, ‘‘बजट केवल कॉरपोरेट और उद्योगों के लिए है। यह गरीब समर्थक बजट नहीं है। यह भाजपा सरकार की उन अमीरों और कॉरपोरेट को की गयी धन वापसी है जिन्होंने लोकसभा चुनाव के दौरान उनका समर्थन किया था। यह बजट केवल वादों के बारे में है।’’

कांग्रेस के ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जहां बजट को ‘‘खोखला और पीड़ादायक’’ बताया वहीं जयराम रमेश ने बजट को ‘धन वापसी’ कार्यक्रम करार दिया। रमेश ने आरोप लगाया, ‘‘आपने (भाजपा) चुनाव में लिया था। आप लौटा रहे हैं।’’

गरीबों के लिए ‘अच्छे दिन’ लाने में विफल रहने का आरोप लगाते हुए बसपा प्रमुख मायावती ने कहा, ‘‘बजट का मकसद कॉरपोरेट की मदद करना है। इसे केवल अमीरों और बड़े पूंजीपतियों को ध्यान में रखकर बनाया गया है। यह आम आदमी के हित में नहीं है।’’

बजट को दस में से दो अंक देते हुए लोकसभा में बीजद (बीजू जनता दल) नेता भृतुहरि मेहतबा ने कहा कि बजट से काफी निराशा हुई है क्योंकि इसमें किसानों के लिए कुछ नहीं किया गया है। उनके विचारों के विपरीत उनकी ही पार्टी के जय पांडा ने बजट को ‘‘बिग बैंग’’ बताया जिससे अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन मिलेगा और उद्योग तथा विनिर्माण क्षेत्र के लिए संभावनाओं में इजाफा होगा।

राकांपा प्रमुख शरद पवार ने कहा कि बजट में लोगों की आकांक्षाओं को पूरा नहीं किया गया है क्योंकि इसमें ढांचागत क्षेत्र, कृषि और निवेश को बढ़ावा देने के लिए कोई पहल नहीं की गयी है।’’

पूर्व कृषि मंत्री ने कहा कि सेवा शुल्क संबंधी प्रावधानों से महंगाई और बढ़ेगी। उन्होंने साथ ही कहा कि कल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मनरेगा योजना का मजाक उड़ाया था और आज उनकी सरकार ने योजना के लिए आवंटन राशि बढ़ा दी।

पवार की बेटी और लोकसभा में राकांपा सदस्य सुप्रिया सुले ने बजट को ‘‘कभी खुशी, कभी गम’’ करार दिया और कहा कि भाजपा को जिस प्रकार विशाल जनादेश मिला है, वह किसानों के लिए काफी कुछ कर सकती थी।

तृणमूल कांग्रेस नेता सौगत राय और डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि बजट ‘‘गरीब विरोधी, जन विरोधी और मध्यवर्ग विरोधी है।’’ राय ने कहा, ‘‘बजट में 840 करोड़ रुपए के चिल्लर फेंक कर पश्चिम बंगाल के साथ मजाक किया गया है जहां राज्य ने अभी तक अपने ऋण के बोझ पर एक लाख करोड़ रुपए खर्च कर दिए हैं।

ओब्रायन ने आरोप लगाया कि बजट में सबसे बड़ा घोटाला यह है जहां सरकार ने केंद्रीय कोष से 62 फीसदी धन राज्यों को स्थानांतरित करने का दावा किया है। पिछले वर्ष 61.88 फीसदी कोष राज्यों को दिया गया था। उन्होंने कहा, ‘‘बजट में केवल अच्छी अच्छी बातें कही गयी हैं और काम की बात कोई नहीं है क्योंकि वित्त मंत्री एस्कीमो को रेफ्रीजरेटर बेचने की कला जानते हैं।

जनता दल यू प्रमुख शरद यादव ने कहा कि बजट में रोजगार, कृषि और काले धन जैसे तीन महत्वपूर्ण क्षेत्रों में नयी पहल का अभाव है जिनके नाम पर भाजपा सत्ता में आयी थी।

जनता दल यू नेता के सी त्यागी ने बजट को कॉरपोरेट हितैशी, शहरी हितैषी और धनी मानी हितैषी करार दिया और कहा कि इसमें गरीबों, कृषि, श्रमिकों, किसानों और ग्रामीणों के लिए कुछ नहीं है। इसमें ग्रामीण भारत की पूरी तरह अनदेखी की गयी है।

हरियाणा कांग्रेस नेता दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि यह स्पष्ट है कि भाजपा ‘‘कॉरपोरेट समर्थक’’ है। उन्होंने कहा, ‘‘हम उनके लिए कुछ पहलों की उम्मीद कर रहे थे लेकिन कभी यह नहीं सोचा था कि कॉरेपोरेट को कर में छूट दी जाएगी जबकि आम आदमी को ऐसी कोई कर छूट नहीं मिली है। कृषि क्षेत्र को विशेष तौर पर नजरअंदाज किया गया है। किसानों की पूरी तरह अनदेखी की गयी है।’’