भारतीय रिजर्व बैंक ने धार्मिक कारणों से हो रहे वित्‍तीय बहिष्‍कार से निपटने के लिए नई योजना बनाई है। केंद्रीय बैंक ने सरकार के साथ मिलकर ब्‍याज-मुक्‍त बैंकिंग शुरू करने का प्रस्‍ताव रखा है। ताकि मुस्लिम आबादी को भी वित्‍तीय सेवाएं मिल सकें। पिछले सप्‍ताह अपनी वार्षिक रिपोर्ट में बैंक ने यह प्रस्‍ताव दिया है। आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन का कार्यकाल खत्‍म होने से पहे यह रिपोर्ट जारी की गई थी। राजन की जगह उर्जित पटेल लेंगे । आरबीआई ने पहले कहा था कि इस्‍लामिक वित्‍त गैर-बैंक चैनल्‍स जैसे निवेश फंड ओर कोऑपरेटिव के जरिए दिया जा सकता है। देश के तकरीबन 18 करोड़ मुसलमान बैंकिंग सेवाएं नहीं ले पा रहे थे क्‍योंकि बैंकिंग के ब्‍याज पर आधारित होने का कानून है, जबकि इस्‍लाम में इसकी मनाही है। केंद्रीय बैंक ने कहा कि वह सरकार के साथ बातचीत कर ब्‍याज-मुक्‍त उत्‍पाद जारी करने की संभावनाए तलाशेगा। इस्‍लामी वित्‍त में महारत रखने वाली बेंगलुरु की इनफिनिटी कसल्‍टेंट्स के मैनेजिंग पार्टनर सैफ अहमद ने कहा, ”यह बड़ा सार्थक बदलाव है, ऐसा पहली बार है जब आरबीआई ने मजबूती से कहा है कि अब वह सरकार के साथ मिलकर इस्‍लामी बैंकिंग शुरू करने पर काम करेगा। भारत में इस्‍लामी बैंक खोलने के लिए, अलग से कानून या फिर संशोधन संसद से पास कराना होगा और ऐसा सरकार की सहमति से ही हो सकता है।”

2015 में, केन्‍द्रीय बैंक कमेटी ने लागत से अधिक वित्तपोषण, स्‍‍थगित भुगतान और स्‍थगित डिलीवरी कॉन्‍ट्रैक्‍ट्स देने के लिए एक विशेष ब्‍याज मुक्‍त सेवा देने की सलाह दी थी। कमेटी ने शरिया मानने वाले कॉन्‍ट्रैक्‍ट्स जैसे मुराबहा और इस्तिस्‍ना का भी जिक्र किया था। इस्‍लामी वित्‍त का विकास काफी धीमा रहा है। सत्‍ताधारी भाजपा के नेता और अधिकारी इसका कड़ा विरोध करते रहे हैं।