रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने आज कहा कि देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की सालाना वृद्धि दर नौ प्रतिशत तब तक नहीं हो सकती जब तक कि ‘‘विशाल निवेश’’ और आपूर्ति की स्थिति में सुधारे नहीं होता। उन्होंने साथ में ही लोक-लुभावन नीति अपनाने के प्रति आगाह भी किया।
यह पूछने पर कि क्या देश बगैर मुद्रास्फीति के उच्चतर वृद्धि दर्ज कर सकता है, राजन ने कहा ‘‘ इस का जवाब है नहीं। हमें अंतर्निहित आपूर्ति की ऐसी स्थिति तैयार करनी है जिससे हम मांग के बढ़ाने की छूट दे सकें। ’’
उन्होंने कहा कि नौ प्रतिशत वृद्धि प्राप्त करने के लिए बड़े निवेश की जरूरत है जिससे मांग बढ़ सकती है।
राजन ने आज यहां एक समारोह में कहा ‘‘कुछ लिहाज से मुझे लगता है नौ प्रतिशत वृद्धि दर ऐसी स्थिति है जबकि हम विशाल राशि का निवेश कर रहे हैं और इस तरह आपूर्ति की स्थिति बनेगी जिससे मांग को समर्थन मिलेगा। इसलिए हमें न सिर्फ मांग बढ़ाने की जरूरत है बल्कि आपूर्ति भी बढ़ानी होगी जिसका अर्थ है, सरकार जिन मोचों पर काम कर रही है वहां गतिविधियां और तेज करने की जरूरत है।’’
उन्होंने हालांकि कहा कि नौ प्रतिशत की वृद्धि दर प्राप्त करना एक सधा हुआ काम है और इसे रातों-रात प्राप्त नहीं किया जा सकता।
राजन ने कहा ‘‘हमें निश्चित तौर पर नौ प्रतिशत की वृद्धि दर का सपना देखना चाहिए लेकिन हमें मानव पूंजी समेत आपूर्ति पक्ष की अड़चने दूर करनी होंगी।’’
उन्होंने लोक-लुभावन नीतियों के प्रति यह कहते हुए आगाह किया कि ये वृद्धि की बेसब्र मांग से पे्रेरित होते हैं जबकि तथ्य यह है कि वृद्धि का वास्तविक तरीका बहुत कठिन है।
उन्होंने यह भी कहा कि देश में मान पूंजी की गुणवत्ता सुधारने की जरूरत है।
जी-20 समूह के बारे में राजन ने कहा कि भारत में अच्छे अर्थशास्त्री बहुत नहीं है जो विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर देश का प्रतिनिधित्व कर सकें और विभिन्न समूहों के साथ काम कर सकें।

