देश के सबसे रईस शख्स मुकेश अंबानी के परिवार को अकसर धार्मिक कार्यक्रमों में देखा जाता है। खासतौर पर उनकी मां कोकिलाबेन अंबानी काफी आध्यात्मिक प्रवृत्ति की हैं। लेकिन ऐसे बहुत कम लोग हैं, जिन्हें अंबानी फैमिली के आध्यात्मिक गुरु के बारे में जानकारी है, जिनका नाम रमेशा भाई ओझा है। भाईश्री के नाम से ख्याति प्राप्त रमेश भाई ओझा ही वह शख्स थे, जिन्होंने मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी के बीच कारोबारी साम्राज्य को लेकर छिड़े संघर्ष में समझौता कराने का काम किया था। कहा जाता है कि मुकेश अंबानी की मां कोकिलाबेन अंबानी के कहने पर उन्होंने दोनों भाईयों के बीच बंटवारे में दखल दिया था और सुलह के साथ कारोबारी साम्राज्य विभाजित हुआ था।

अंबानी फैमिली की तरह ही मीडिया से दूर रहने वाले रमेश भाई ओझा के करीबी सूत्रों के मुताबिक पहली बार उनकी कोकिलाबेन अंबानी से मुलाकात उनके घर पर ही हुई थी, जब वह राम कथा के कार्यक्रम के लिए गए थे। दरअसल रिलायंस के संस्थापक धीरूभाई अंबानी की पत्नी कोकिलाबेन अकसर रमेश भाई ओझा के वीडियो देखा करती थीं, जिनसे वह काफी प्रभावित थीं। इसके बाद उन्होंने रमेश भाई ओझा से अपने मुंबई स्थित आवास में राम कथा के कार्यक्रम का आग्रह किया था। यह 1997 की बात है।

ओझा के भाई गौतम ने मुंबई मिरर को बताया था, ‘उस दौर में रमेश भाई ओझा की राम कथा का आयोजन अंबानी परिवार के आवास में हुआ था। यह कार्यक्रम एक सप्ताह तक चला था। यहीं से अंबानी फैमिली और ओझा के बीच संबंधों की शुरुआत हुई। दिन भर रमेश भाई ओझा कथा कहते थे और उसके बाद शाम में चर्चा होती थी।’ यही नहीं धीरे-धीरे रमेश भाई ओझा का अंबानी परिवार में दखल इस कदर बढ़ा कि दोनों भाईयों के विवाद को सुलझाने में भी उनकी अहम भूमिका थी।

रमेश भाई ओझा का अंबानी परिवार में कितना सम्मान है, इसे इस बात से ही समझा जा सकता है कि रिलायंस ने जामनगर में जब अपनी रिफाइनरी स्थापित की थी तो उसका उद्घाटन रमेश भाई ओझा ने ही किया था। इस दौरान उन्होंने अपने संबोधन में रिलायंस के कर्मचारियों को कर्मय़ोग का महत्व बताया था। रमेश भाई ओझा को धर्म के सिद्धांतों को मौजूदा दौर की व्यवहारिकता के साथ जोड़ने के लिए जाना जाता है। अकसर वह अपने प्रवचनों में आधुनिक परिस्थितियों को समेटते हुए ही बात कहते हैं।