नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने इस बात का खंडन किया है कि रुपये की कीमत में उतार-चढ़ाव से बाजार में साख पर बट्टा लगता है। उन्होंने कहा कि किसी देश की वैल्यू उसके सफलता दर, रोजगार के दर और गरीबों की संख्या पर निर्भर करती है। उन्होंने कहा कि रुपये में उतार-चढ़ाव थर्मामीटर में तापमान के चढ़ने-उतरने जैसा है। उन्होंने कहा कि यह कहना गलत होगा कि रुपये के भाव गिरने से महंगाई बढ़ेगी। कुमार ने कहा कि वह रुपये में गिरावट के बजाय बढ़ते व्यापार घाटे को लेकर ज्यादा चिंतित हैं। उन्होंने निर्यात बढ़ाने के उपाय करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि कुछ क्षेत्र हैं जिन्हें मजबूत रुपये से फायदा होता है लेकिन मौजूदा स्थिति में रुपये की गिरावट को लेकर ज्यादा चिंतित होने की जरूरत नहीं है।
उद्योग मंडल सीआईआई द्वारा आयोजित कार्यक्रम में कुमार ने कहा, ‘‘मैं मजबूत रुपये पर विश्वास नहीं करता… सरकार के लिये रुपये को सुदृढ़ करने के प्रयास करना और कदम उठाना बहुत मुश्किल है।’’ उल्लेखनीय है कि अमेरिकी डॉलर की मजबूत मांग से रुपया 16 अगस्त को 70.32 रुपये प्रति डॉलर के अब तक के सबसे निचले स्तर तक गिर गया था। उन्होंने कहा कि आर्थिक नीति में केवल राजकोषीय घाटे के आंकड़े पर ध्यान नहीं देना चाहिए। मेरिका, चीन तथा यूरोपीय संघ जैसी बड़ी अर्थव्यवस्थाएं राजकोषीय घाटे को ज्यादा महत्व नहीं देती।’’
कुमार ने कहा, ‘‘हमें चर्चा को राजकोषीय घाटे से हटाना चाहिए… हमें इस एक आंकड़े (राजकोषीय घाटे) से आगे बढ़ने की जरूरत है।’’ उन्होंने जोर देकर कहा कि कोई भी नियमों के अनुसार नहीं चल रहा है, इसीलिए हमें भी इस तरह से आगे बढ़ना होगा जो हमारी जरूरतों के अनुरूप हों। कुमार ने कहा, ‘‘चिंता का मुख्य कारण व्यापार घाटा है। मुझे लगता है कि निर्यात बढाने के प्रयास करना और इसे बढ़ाना ज्यादा बेहतर है।’’ उन्होंने दलील देते हुए कहा कि मौजूदा परिस्थिति में एक ही समय राजकोषीय और मौद्रिक नीति को कड़ा किया जाना समस्या को दावत देना होगा।
कुमार ने यह भी सुझाव दिया कि भारत को व्यापार सौदा करते समय बड़ी अर्थव्यवस्था होने का गुमान नहीं रखना चाहिए क्योंकि देश की प्रति व्यक्ति आय अब भी नीचे है। उन्होंने कहा कि नीति आयोग जल्दी ही ‘न्यू इंडिया 2022’ के लिये विकास एजेंडा पेश करेगा। कुमार ने कहा, ‘‘हम चाहेंगे कि राज्य सरकारों के योजना विभाग राज्य नीति आयोग के रूप में काम करें।’’ एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि आयुष्मान भारत स्वास्थ्य योजना क्रियान्वित करने के लिये लगभग सभी राज्यों (चार को छोड़कर) ने केंद्र के साथ सहमति पत्र पर दस्तखत किये हैं। कुमार ने कहा, ‘‘मैंने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात की, वह भी इसे लागू करने को इच्छुक हैं।’’