Rahul Bajaj ने अब बजाज ग्रुप में सक्रिय भूमिका से पीछे हटने का फैसला लिया है। बजाज चेतक स्कूटर के जरिए देश के हर घर में कंपनी की पहचान बनाने वाले राहुल बजाज अब निदेशक का पद छोड देंगे। 31 मार्च, 2020 को उनका 5 साल का मौजूदा कार्यकाल समाप्त हो रहा है। इसके बाद वह गैर-कार्यकारी निदेशक के तौर पर ही काम करेंगे। राजनीतिक और सामाजिक हालात पर भी मुखरता से टिप्पणियां करने वाले राहुल बजाज 1 अप्रैल, 1970 से लगातार ग्रुप के डायरेक्टर की जिम्मेदारी संभाल रहे थे।

गुरुवार को हुई कंपनी बोर्ड की मीटिंग के बाद जारी बयान में बताया गया कि अपनी कुछ प्राथमिकताओं के चलते राहुल बजाद अब पूर्णकालिक निदेशक नहीं रहेंगे। 1965 में बजाज ग्रुप के बिजनस को संभालने वाले राहुल बजाज के नेतृत्व में ही समूह की फ्लैगशिप कंपनी बजाज ऑटो ने एक हजार गुना से ज्यादा की ग्रोथ हासिल की। उस दौर में कंपनी का टर्नओवर महज 7.2 करोड़ हुआ करता था, जो फिलहाल 12,000 करोड़ रुपये के करीब है।

नए दौर में भी बरकरार रखी ग्रुप की ग्रोथ: आजादी के बाद से ही देश के बड़े औद्योगिक समूहों में से एक रहे बजाज ग्रुप की ग्रोथ को उन्होंने उदारवादी नीतियां लागू होने के बाद भी बनाए रखना। नई तकनीक और नई पूंजी आने के बाद भी बजाज लोगों के दिलों में उतरता रहा और लंबे समय तक बजाज स्कूटर लोगों का सपना रहा।

2005 में बेटे राजीव को दी थीं अहम जिम्मेदारियां: हालांकि राहुल बजाज ने 2005 से ही कंपनी के कामकाज में धीरे-धीरे अपना दखल कम करना शुरू कर दिया था। उन्होंने अपने बेटे राजीव बजाज को जिम्मेदारियां दे दी थीं, जो फिलहाल बजाज ऑटो के मैनेजिंग डायरेक्टर भी हैं।