सुरक्षित निवेश और रिडर्न की गारंटी मानी जाने वाली पब्लिक प्रोविडेंट फंड स्कीम पर पहली बार ब्याज 7 फीसदी से कम हो सकता है। अगले सप्ताह तिमाही दरें तय की जा सकती हैं, जिनमें पीपीएफ की दर को 7 फीसदी से कम किया जा सकता है। 46 साल ऐसा मौका होगा, जब पीपीएफ पर ब्याज की दर 7 फीसदी से कम हो जाएगी। इससे पहले 1974 में ऐसा हुआ था, जब पीपीएफ पर ब्याज की दर 7 फीसदी से कम थी। छोटी बचत योजनाएं 10 साल के सरकारी बॉन्ड की यील्ड से जुड़ी हुई हैं। हर तिमाही की शुरुआत में पीपीएफ, सुकन्या समृद्धि योजना समेत तमाम स्कीमों की ब्याज दर तय की जाती है।
फिलहाल पीपीएफ पर 7.1 फीसदी की ब्याज दर मिल रही है, अप्रैल से जून तिमाही के लिए यह दर मार्च के आखिरी सप्ताह में तय की गई थी। इससे पहले जनवरी से मार्च की तिमाही में यह 7.9 फीसदी थी। इसके अलावा सीनियर सिटिजंस सेविंग्स स्कीम की ब्याज दर में भी बड़ी कटौती हुई है। वरिष्ठ नागरिकों अपनी सेविंग्स पर 8.6 फीसदी की बजाय 7.4 पर्सेंट ब्याज ही मिल रहा है।
यही नहीं नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट की ब्याज दर भी तेजी से घटते हुए 7.9 पर्सेंट से कम होकर 6.8 पर्सेंट हो गई है। यह नहीं सुकन्या समृद्धि योजना की ब्याज दर भी 8.4 पर्सेंट की बजाय अब 7.6 पर्सेंट ही रह गई है। निवेश की रकम को दोगुना करने के लिए चर्चित किसान विकास पत्र स्कीम पर भी ब्याज की दर अब 6.9 पर्सेंट ही रह गई है और मैच्योरिटी पीरियड भी बढ़कर अब 124 महीने हो गया है।
दरअसल छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दर में अकसर कमी आती है, जब बैंकों में जमा रकम की ब्याज कम होती है। एफडी की दरों में भी तेजी से कमी आई है। एसबीआई फिलहाल 7 से 45 दिनों के डिपॉजिट पर 2.9 फीसदी का ब्याज दे रहा है, जो सेविंग्स अकाउंट पर मिल रहे 2.7 फीसदी के ब्याज से थोड़ा ही अधिक है। वहीं कोटक महिंद्रा बैंक और एचडीएफसी बैंक शॉर्ट टर्म एफडी पर सेविंग्स अकाउंट्स से भी कम इंटरेस्ट दे रहे हैं। पीपीएफ अकाउंट का मैच्योरिटी पीरियड 15 साल होता है, जिसमें साल में कम से कम 500 रुपये और अधिकतम 1.5 लाख रुपये का निवेश किया जा सकता है।