विभिन्न उत्पादों की बिक्री में गिरावट के चलते भारतीय कंपनियां अब अपने खर्च बिलों में कटौती करने में जुटी हैं। आकंड़ों के मुताबिक प्राइवेट नौकरियों के सैलरी इजाफे में रिकॉर्ड गिरावट आई है। वित्त वर्ष 2018-19 में कंपनियों की सैलरी इजाफे में कटौती के चलते गिरावट का यह आंकड़ा पिछले एक दशक के सबसे खराब प्रदर्शन पर चला गया। पिछले सात सालों में भी ऐसा पहली बार हुआ जब बिक्री राजस्व में सैलरी का हिस्सा कम हुआ।

ये आकंड़े एचटी ने सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) द्वारा संकलित प्रोवेस डेटाबेस के जरिए जुटाए हैं। इसमें 4,953 कंपनियां हैं, जिनके पास वित्त वर्ष 2018-19 के अंत तक पिछले दस सालों का बिक्री और वेतन डेटा है। इन कंपनियों के पास कर्मचारियों की संख्या का डेटा नहीं है। हालांकि 4,953 कंपनियों में से 3,353 कंपनियों ने वित्त वर्ष 2018-19 में 82 लाख लोगों को रोजगार दिया।

आंकड़ों के मुताबिक इन 4,953 कंपनियों के वेतन और बिक्री राजस्व में वित्त वर्ष 2018-19 में 6 और 9 फीसदी की बढ़ोतरी थी। मुद्रास्फीति के लिए समायोजित (औद्योगिक श्रमिकों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक का उपयोग करके) ये आंकड़े 0.53 फीसदी और वेतन और बिक्री वृद्धि के लिए 3 फीसदी हैं।

[bc_video video_id=”5802412428001″ account_id=”5798671092001″ player_id=”JZkm7IO4g3″ embed=”in-page” padding_top=”56%” autoplay=”” min_width=”0px” max_width=”640px” width=”100%” height=”100%”]

निजी क्षेत्र में वेतन वृद्धि की मंदी का क्या कारण है?
बिजनेस लंबे समय से अच्छा नहीं रहा। प्रोवेस डेटाबेस में सूचीबद्ध कंपनियों ने 2012-13 की शुरुआत में लगातार चार सालों तक नकारात्मक वास्तविक बिक्री वृद्धि की थी। 2016-17 और 2017-18 में इसकी रिकवरी हुई थी, लेकिन लगता है कि पिछले साल यह रिकवरी नकारात्मक हो गई है। इससे मुद्रास्फीति-समायोजित बिक्री राजस्व 2017-18 में 4.5 फीसदी से गिरकर 2018-19 में 3 फीसदी पर पहुंच गई है।