भारत में जल्दी ही निजी कंपनियां भी अंतरिक्ष पर अपने मिशन भेज सकती हैं। अंतरिक्ष आयोग ने नेशनल स्पेस ऐक्टिविटीज प्रमोशन बोर्ड के गठन को मंजूरी दे दी है। अंतरिक्ष विभाग के सूत्रों ने बताया कि जल्दी ही इस प्रस्ताव को प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से भी मंजूरी दी जा सकती है। यदि ऐसा होता है तो अंतरिक्ष मिशन में इसरो का एकाधिकार समाप्त हो सकता है। इस दिशा में पीएमओ की ओर से बीते एक साल से प्रयास किए जा रहे थे। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 16 मई को ऐलान किया था कि सरकार अंतरिक्ष के क्षेत्र में निजी सेक्टर को अनुमति दे सकती है।

अंतरिक्ष विभाग के एक सीनियर अधिकारी ने टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में कहा कि प्रस्तावित बोर्ड के पास स्वायत्त शक्तियां होंगी और वह इसरो से अलग होगा। अधिकारी ने कहा, ‘इस बोर्ड का एक चेयरमैन होगा और और कुछ सदस्य भी होंगे, जिनमें कुछ स्वतंत्र एक्सपर्ट भी होंगे। यह बोर्ड निजी कंपनियों के अंतरिक्ष में शोध, रॉकेट एवं सैटेलाइट के निर्माण के प्रस्ताव पर विचार करेगा। इस बोर्ड की स्वायत्तता और अधिकारों को लेकर पीएमओ की ओर से फैसला लिया जाएगा।’

अमेरिका, चीन और यूरोपियन स्पेस एजेंसी की ओर से भी निजी कंपनियों को स्पेस प्रोग्राम के लिए निजी कंपनियों को प्रोत्साहन दिया गया है। हालांकि भारत ने अब तक अपने अंतरिक्ष मिशनों को इसरो तक ही केंद्रित रखा है और रॉकेट्स ऐंड सैटलाइट्स के कंपोनेंट्स की मैन्युफैक्चरिंग में निजी कंपनियों को शामिल किया है। अंतरिक्ष विभाग ने कहा कि यह स्थिति जल्दी ही समाप्त होगी और इसरो स्पेस मिशनों का एकमात्र लीडर नहीं होगा। निजी कंपनियों भी प्रतिस्पर्धा का हिस्सा होंगी। हालांकि इसरो महत्वपूर्ण प्लेयर जरूर बना रहेगा।

पीएमओ ने पिछले साल जून में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की अध्यक्षता में एक कमिटी का गठन किया था, जिसे देश के रणनीतिक क्षेत्रों को मजबूती देने के लिए सुझाव देने की जिम्मेदारी दी गई थी। स्पेस सेक्टर में सुधार को लेकर पीएमओ के एक डेप्युटी सेक्रेटरी भी काम कर रहे हैं।