भूमि अधिग्रहण कानून पर अध्यादेश को राष्ट्रपति ने बुधवार को मंजूरी दे दी। इससे औद्योगिक गलियारों, ग्रामीण ढांचागत सुविधाओं, रक्षा व आवास के लिए जमीन लेना आसान होगा। इस बारे में पूछे जाने पर राष्ट्रपति के प्रेस सचिव वेणु राजमनी ने कहा-‘राष्ट्रपति ने इस पर हस्ताक्षर कर दिए हैं।’
अध्यादेश में जमीन अधिग्रहण कानून में महत्त्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। पांच क्षेत्रों- औद्योगिक गलियारों, पीपीपी (सार्वजनिक निजी भागीदारी) परियोजनाओं, ग्रामीण ढांचागत सुविधाओं, सस्ते मकानों और रक्षा क्षेत्र के लिए जमीन अधिग्रहण को लेकर सहमति संबंधी उपबंध को हटा दिया गया है। भूमि अधिग्रहण के इस संशोधित कानून के तहत रक्षा एवं राष्ट्रीय सुरक्षा, जिन किसानों की भूमि का अधिग्रहण किया जा रहा है उन्हें ऊंचा मुआवजा और पुनर्वास व पुनर्स्थापना सहित 13 विधानों को केंद्र के अधिकार क्षेत्र में ला दिया गया है।
संशोधित कानून में यह भी प्रावधान किया गया है कि अगर भूमि का अधिग्रहण पांच उद्देश्यों के लिए किया जाता है तो अनिवार्य ‘सहमति’ उपबंध व सामाजिक प्रभाव आकलन (एसआइए) प्रावधान लागू नहीं होगा।
नए कानून के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि अधिग्रहण पर मुआवजे को चार गुना और शहरी क्षेत्रों में भूमि का अधिग्रहण किए जाने पर मुआवजे को दोगुना कर दिया गया। अध्यादेक्ष के तहत जारी कानून में इन कार्यों के लिए बहु-फसली सिंचाई वाली भूमि का भी अधिग्रहण किया जा सकता है। पहले के कानून में पीपीपी परियोजनाओं के लिए 70 फीसद भूमि मालिकों की सहमति का प्रावधान रखा गया था।
सरकार ने इससे पहले सोमवार को कहा कि मुआवजे और पुनर्वास एवं पुनर्स्थापना के लिए भूमि अधिग्रहण कानून के तहत 13 विभिन्न कानूनों को लाने का उसका फैसला किसानों के हित में लिया गया फैसला है।