देश में पेट्रोल की कीमतें 80 रुपये प्रति लीटर और डीजल 68 रुपये प्रति लीटर तक जा सकती है। क्रेडिट रेटिंग्‍स एजेंसी क्रिसिल की रिपोर्ट के अनुसार यदि वैश्विक बाजार में यदि तेल की कीमतें 60 डॉलर प्रति बैरल पहुंचने के चलते ऐसा हो सकता है। वैश्विक बाजार में तेल की कीमतें 55 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गई है। यह तेल उत्‍पादक व निर्यातक देशों के समूह (ओपेक) के समझौते के चलते हुआ है। ओपेक दुनिया का एक तिहाई तेल उत्‍पादन करते हैं। इन देशों ने 28 नवंबर को समझौता किया कि एक जनवरी से 1.2 मिलियन बैरल प्रतिदिन तेल का उत्‍पादन कम किया जाएगा।

साल 2008 के बाद से ऐसा पहली बार होगा। इस फैसले के बाद से तेल की कीमतें 19 प्रतिशत बढ़ चुकी हैं। वहीं गैर ओपेक देश प्रति दिन 0.6 मिलियन बैरल उत्‍पादन बढ़ाने का फैसला ले सकते हैं। क्रिसिल की रिपोर्ट के अनुसार, ”ओपेक के फैसले के बाद मार्च 2017 तक ब्रेंट क्रूड 50-55 डॉलर प्रति बैरल तक जा सकता है। कुछ का मानना है कि यह 60 डॉलर जा सकता है ऐसा होने पर पेट्रोल की कीमत 80 रुपये और डीजल 68 रुपये प्रति लीटर हो सकती है। इसका मतलब है कि अगले तीन से चार महीनों में पेट्रोल की कीमत 5-8 प्रतिशत और डीजल की 6-8 प्रतिशत तक बढ़ेंगी। इसके चलते मुंबई में पेट्रोल 75 रुपये प्रति लीटर व डीजल 64 रुपये प्रति लीटर चला जाएगा।”

हालांकि क्रिसिल का अनुमान है कि साल 2017 के पहले छह महीनों में तेल की कीमतें 50 से 55 डॉलर प्रति बैरल के बीच रहेंगी। जानकारों का कहना है कि ओपेक के फैसले से कीमतें बढ़ सकती है लेकिन लंबी अवधि में इसका क्‍या असर होगा यह देखने वाली बात होगी। पहले भी कर्इ बार ओपेक देश इस तरह के फैसले ले चुके हैं लेकिन बाद में उनमें टूट हो चुकी है।

भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतें बाजार के अधीन हैं। इसके चलते तेल कंपनियां महीने में दो बार कीमतों पर विचार करती हैं। तेल की वैश्विक कीमतों और डॉलर के मुकाबले रुपये के स्थिति के अनुसार इस पर फैसला लिया जाता है। भारत अपनी जरूरत का तीन-चौथाई से ज्‍यादा तेल आयात करता है। इंडियन क्रूड बास्‍केट को तेल मंत्रालय बेंचमार्क के रूप में मानता है। इसके अनुसार नवंबर में तेल की कीमतें 45 डॉलर के करीब थी। इंडियन क्रूड बास्‍केट ओमान और दुबई क्रूड को आधार मानता है। वर्तमान में रुपये की स्थिति भी नाजुक बनी हुई है। रुपया वर्तमान में एक डॉलर के मुकाबले 68 रुपये के करीब है।