Income Tax Saving Investment : अपनी कमाई पर कानून के हिसाब से आयकर भरना सबके लिए जरूरी है. लेकिन इनकम टैक्स के नियमों में ही आपके लिए कानूनी तौर पर टैक्स की बचत करने का इंतजाम भी किया गया है. अगर आप अपनी बचत को सही ढंग से निवेश करते हैं, तो इन नियमों का फायदा उठाकर अपनी टैक्स देनदारी कम कर सकते हैं. टैक्स बचाने के लिहाज से निवेश के विकल्पों को अलग-अलग कैटेगरी में बांटा गया है, जिनमें पैसे लगाने पर अलग-अलग तरह से टैक्स छूट मिलती है. कानूनी तौर पर टैक्स सेविंग के लिए इनके बारे में जानना जरूरी है. खासतौर पर ‘ट्रिपल ई’ (EEE) कैटेगरी के बारे में, जिसके तहत आने वाली स्कीम टैक्स बचाने में आपकी सबसे ज्यादा मदद कर सकती हैं.

टैक्स सेविंग इनवेस्टमेंट की 3 प्रमुख कैटेगरी 

टैक्स सेविंग इनवेस्टमेंट्स को मुख्य रूप से 3 श्रेणियों या कैटेगरी में रखा जाता है. 1. ईटीई (ETE), 2. ईईटी (EET) और 3. ट्रिपल ई (EEE).

– ईटीई का मतलब है एग्जम्प्ट – टैक्सेबल – एग्जम्प्ट (Exempt – Taxable – Exempt) यानी ऐसे टैक्स सेविंग इनवेस्टमेंट्स जिनमें पैसे लगाते समय नियमों के मुताबिक टैक्स में छूट मिलती है. लेकिन निवेश पर मिलने वाला रिटर्न टैक्सेबल होता है. हालांकि बाद में मेच्योरिटी अमाउंट पर फिर से टैक्स में छूट मिलती है. 

– ईईटी (EET) का मतलब है, एग्जम्प्ट – एग्जम्प्ट – टैक्सेबल (Exempt – Exempt – Taxable). इस कैटेगरी में ऐसे इनवेस्टमेंट्स ऑप्शन आते हैं, जिनमें निवेश करते समय टैक्स छूट मिलती है और फिर उस पर जमा होने वाले रिटर्न पर भी टैक्स नहीं लगता. लेकिन बाद में मेच्योरिटी अमाउंट पर टैक्स भरना पड़ता है. 

– वहीं ईईई (EEE) कैटेगरी टैक्स सेविंग के लिहाज से सबसे बेहतर है, जिसका मतलब है एग्जम्प्ट – एग्जम्प्ट – एग्जम्प्ट (Exempt – Exempt – Exempt). इस कैटेगरी में आने वाले इनवेस्टमेंट ऑप्शन ऐसे होते हैं, जिनमें न सिर्फ निवेश करते समय टैक्स में छूट मिलती है, बल्कि रिटर्न और मैच्योरिटी अमाउंट भी नियमों के हिसाब से टैक्स फ्री होते हैं.

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ट्रिपल ई कैटेगरी में आने वाली स्कीम

नियमों के तहत टैक्स सेविंग का पूरा फायदा उठाने के लिए आप भी ऐसी योजनाओं में निवेश कर सकते हैं, जो EEE कैटेगरी में आती हैं. इस श्रेणी की प्रमुख स्कीम हैं – पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (PPF), सुकन्या समृद्धि योजना (SSY) और एंप्लाईज प्रॉविडेंट फंड (EPF). इनके अलावा इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम (ELSS) और यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान (ULIP) भी कुछ शर्तों के साथ ट्रिपल ई बेनिफिट देते हैं. ईएलएसस को 3 साल तक होल्ड करने के बाद उस पर एक वित्त वर्ष के दौरान होने वाला 1 लाख रुपये तक का कैपिटल गेन टैक्स फ्री है. इस स्कीम का लॉकइन बाकी सभी टैक्स सेविंग स्कीम के मुकाबले सबसे कम है. यूलिप में किए गए निवेश पर भी 80सी के तहत टैक्स छूट मिलती है, लेकिन इसके लिए इंश्योरेंस की रकम सालाना प्रीमियम के कम से कम 10 गुने के बराबर होनी चाहिए. इसमें 5 साल बाद पैसे निकालने पर रिटर्न समेत पूरा मेच्योरिटी अमाउंट टैक्स फ्री होता है. 

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समझदारी से करें निवेश का फैसला 

ऊपर बतागई किसी भी ट्रिपल ई स्कीम में निवेश करके आप अपने टैक्स देनदारी को घटा सकते हैं. निवेश करते समय इस बात को भी ध्यान में रखें कि ईएलएसएस और यूलिप मार्केट से जुड़ी स्कीम हैं, लिहाजा इनमें रिटर्न की गारंटी नहीं होती. यूलिप की खास बात ये भी है कि यह सिर्फ निवेश की स्कीम नहीं, बल्कि इंश्योरेंस और इनवेस्टमेंट का मिक्स है. यही वजह है कि इसमें आपके रिटर्न से मॉर्टैलिटी चार्जेज भी कटते हैं, जो नेट रिटर्न को कम कर देते हैं. मार्केट आधारित रिटर्न देने वाली किसी भी स्कीम में तभी निवेश करें, जब आप उससे जुड़ा रिस्क उठाने को तैयार हों. निवेश का कोई भी फैसला सिर्फ टैक्स सेविंग के लिहाज से नहीं करना चाहिए, बल्कि हर निवेशक को अपने निवेश के लक्ष्य और रिस्क प्रोफाइल को ध्यान में रखकर ही इनवेस्टमेंट करना चाहिए.