पिछले कुछ सालों में म्यूचुअल फंड निवेश का एक बेहतर विकल्प साबित हुआ है। म्यूचुअल फंड में निवेशकों को फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) के मुकाबले कहीं अधिक रिटर्न मिलता है। इसके साथ ही आपके वित्तीय लक्ष्यों को पूरा करने में भी सहायता करता है। यदि आप भी एक अनुशासित निवेशक की तरह म्यूचुअल फंड में सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) जरिए निवेश करते है तो आपके लिए यह जानना बेहद जरूरी है कि म्यूचुअल फंड पर कब, कैसे और कितना टैक्स लगता है।
म्यूचुअल फंड में निवेश करने के बाद निवेशकों को दो तरीकों से रिटर्न मिलता है। पहला लाभांश (Dividend) के रूप में और दूसरा पूंजीगत लाभ ( Capital Gain) के रूप में, लाभांश किसी भी कंपनी द्वारा मुनाफे में से निवेशकों को दिया गया एक हिस्सा होता है। म्यूच्यूअल फंड में निवेशकों को उनकी यूनिट्स के आधार पर लाभांश का लाभ मिलता है। पूंजीगत लाभ, किसी भी निवेशक द्वारा अपनी म्यूचुअल फंड की यूनिट्स को बेचकर कमाए गए मुनाफे को कहते हैं।
लाभांश (Dividend) पर टैक्स: 2020 से पहले लाभांश पर किसी भी तरह का कोई कर नहीं लगता था। कंपनियां डिविडेंड डिसटीब्यूशन टैक्स (DDT) देती थीं। 2020 के बजट में केंद्र सरकार के द्वारा लाभांश पर कर लगाया गया। इसे निवेशकों के इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार लगाया जाता है।
इक्विटी फंड पर टैक्स: टैक्स के लिहाज से उन म्यूचुअल फंडों को इक्विटी फंड कहा जाता है जिन्होंने अपने पूरे पोर्टफोलियो का 65% इक्विटी या शेयरों में निवेश किया हुआ है। अगर किसी इक्विटी फंड की यूनिट को एक साल से पहले बेच दिया जाता है तो उसे शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन माना जाता है। इस पर 15 फीसदी टैक्स और 4 फीसदी सेस लगता है। यदि किसी इक्विटी फंड की यूनिट को 1 साल के बाद बेचा जाता है तो उस पर हुए लाभ को लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन कहा जाता है। इस पर 10 फीसदी और 4 फीसदी सेस लगता है। यहां निवेशक के लिए फायदे की बात यह है कि लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स तभी लगता है जब किसी निवेशक को एक वित्त वर्ष की अवधि में 1 लाख से ज्यादा का मुनाफा हुआ हो।
डेट फंड पर टैक्स: डेट फंड उन म्यूचुअल फंड को कहते हैं जिन्होंने अपने पोर्टफोलियो का 65 फीसदी से कम हिस्सा इक्विटी व शेयरों में लगाया हो। यदि आप डेट फंड की यूनिट्स को 3 साल की अवधि से पहले बेचते हैं इसे शॉर्ट टर्म कैपिटल गैन माना जाता है। निवेशकों के इनकम टैक्स के स्लैब के हिसाब से इसकी गणना की जाती है। यदि आप 3 साल के बाद डेट फंड की यूनिट्स को बेचते है तो फिर आपको 20 फीसदी की दर से टैक्स के साथ सेस और सर चार्ज भी देना होगा।
SIP पर कैसे लगता है टैक्स: एसआईपी के जरिए कोई भी निवेशक छोटी-छोटी राशि से महीने, तिमाही, छमाही और वार्षिक आधार पर निवेश करता है। टैक्स इस बात पर निर्भर करता है कि निवेश आपने इक्विटी फंड में किया है या फिर किसी और फंड में। इसके बाद निर्धारित दर के मुताबिक टैक्स लगता है। एसआईपी की हर किस्त नया निवेश मानी जाती है।
