आम लोगों का बैंकों में जमा रुपया घाटे का सौदा साबित हो रहा है। वैसे तो आज भी विश्‍वास बैंकों की फ‍िक्‍स्‍ड डिपॉजिट स्‍कीम पर है, क्‍योंकि इन स्‍कीम में किसी तरह का जोखिम नहीं है, लेकिन जिस तरह से महंगाई दर बढ़ रही है, उसके मुकाबले एफडी की ब्‍याज दरें काफी कम है। बीते दा सालों में एफडी की ब्‍याज दरें आधी रह गई हैं और महंगाई गुना बढ़ गई है। जिसकी वजह से बैंकों में जमा रुपयों से होने वाली कमाई नेगेटिव हो रही है। यानी बैंकों में रखे जिन रुपयों को मुनाफा कमाकर देना चाहिए वो नुकसान पहुंचा रहा है। वहीं दूसरी ओर बैंकों में आपका रुपया सेफ भी नहीं है। हाल ही में एक ऐसा मामला सामने आया है, बैंक के डिप्‍टी मैनेजर ने बैंक के लॉकर से करोड़ों रुपयों के जेवर गायब कर दिए।

एफडी पर लगातार कम होती कमाई
बीते दस सालों में एफडी की ब्‍याज दरों में जबरदस्‍त गिरावट देखने को मिली है। 2011 में देश का सबसे बड़ा बैंक स्‍टेट बैंक ऑफ इंडिया एफडी पर ब्‍जाज दरें 9.25 फीसदी थी, जो आज कम होकर 5 फीसदी पर आ गई हैं। इसका मतलब यह हुआ कि दस सालों में औसतन एफडी की ब्‍याज दरों में 0.40 फीसदी से ज्‍यादा की गिरावट देखने को मिली है। वहीं 2014 में एफडी पर ब्‍याज दरें 8.50 फीसदी थी। बीते 7 सालों में एफडी की ब्‍याज दरों में 0.50 फीसदी की गिरावट आई है। जोकि काफी चिंता का विषय है। इसका मतलब यह‍ है कि एफडी से होने वाली कमाई में लगातार गिरावट देखने को मिली है।

बीते दस सालों में एफडी पर ब्‍याज दरों में कटौती

सालब्‍याज दर (फीसदी)
20119.25
20129
20138.75
20148.50
20158
20167.25
20176.50
20186.40
20196.25
20205.50
20215

नेगेटिव रिटर्न का पैटर्न कैसे आया सामने
अर्थशास्‍त्रि‍यों ने अपने नोट में कहा कि बीते कुछ महीनों में बैंकों जमा रुपयों का रिटर्न नेगेटिव देखने को मिल रहा है। वास्‍तव में यह रिटर्न का नेगेटिव पैटर्न लगातार बढ़ने वाली महंगाई से देखने को मिला है। नोट के अनुसार एक हफ्ते से लेकर 10 साल की सामान्‍य एफडी पर ब्‍याज दर 2.50 फीसदी से लेकर 5.75 फीसदी है। जबकि सीनियर सिटीजंस के लिए यही ब्‍याज दर समान टेन्‍योर 2.50 फीसदी से 6.50 देखने को मिल रहा है। यानी एफडी पर औसत ब्‍याज दर 5 फीसदी के आसपास है। वहीं दूसरी ओर पिछले महीने में खुदरा महंगाई दर 5.3 फीसदी देखने को मिली थी और अगस्‍त में महंगाई दर 6.69 फीसदी थी। इसका मतलब यह है बैंकों में सावधि‍ जमा पर होने वाली कमाई महंगाई दर से कम है। ऐसे में रिटर्न का पैटर्न नेगेटिव है।

बैंकों में कितना है डिपॉजिट
अगर बात पूरे बैंकिंग सिस्‍टम में डिपॉजिट्स की बात करें तो 102 करोड़ रुपए डिपॉजिट हैं। जिस पर देश के सभी बैंक डिपॉजिटर्स के अकाउंट में सालाना 40 हजार रुपए से ज्‍यादा की इनकम होने पर टीडीएस काट रहे हैं। जबकि सीनियर सिटीजन के मामले में टीडीएस की कटौती 50 हजार रुपए और उससे ज्‍यादा की कमाई होने पर की जाती है।

बैंकों में सुरक्षि‍त नहीं है आपकी कमाई
बैंकों में जमा रुपया और गहने भी सुरक्षित नहीं रह गए हैं। झारखंड के मेदिनीपुर में पीएनबी ब्रांच के लॉकर्स से करोड़ोंं रुपयों के गहने गायब होने की बात सामने आई है। जिसमें बैंक के डिप्‍टी मैनेजर सहि‍त पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है। जानकारी के अनुसार डिप्‍टी मैनेजर को शराब के कारोबार में नुकसान होने के कारण उसने बैंक लॉकर से गहने गायब कर 3 फीसदी ब्‍याज पर ज्‍वेलर्स को गिरवी रखा और दूसरी जगह पर 5 फीसदी ब्‍याज पर दूसरों को दे दिया। अब पुलिस डिप्‍टी मैनेजर से पूछताछ करने में जुटी है।