इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने वित्तीय वर्ष 2020-21 (आकलन वर्ष 2021-22) के लिए पर्सनल टैक्सपेयर्स के लिए रिटर्न दाखिल करने की समय सीमा को कोविड 19 दूसरी लहर को देखते हुए 30 सितंबर, 2021 तक बढ़ा दिया। हालांकि, कई टैक्सपेयर्स शिकायत कर रहे हैं कि इनकम टैक्स पोर्टल पिछले कुछ दिनों में अपना रिटर्न दाखिल करने पर भी देर से दाखिल शुल्क ले रहा है। टैक्स फाइलर्स सोशल मीडिया का रास्ता अपना रहे हैं और सर्वर से लेट-फाइलिंग फीस को हटाने के लिए इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से अनुरोध कर रहे हैं।
लेट फाइलिंग पेनल्टी नियम : आयकर नियमों के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति को आईटीआर भरना है लेकिन निर्धारित समय के भीतर ऐसा करने में विफल रहता है, तो उसे देय टैक्स पर ब्याज का भुगतान करना होगा। इसके अलावा, धारा 234 एफ के अनुसार, विलंबित रिटर्न के लिए 5,000 रुपए की विलंब शुल्क देय होगी। यदि व्यक्ति की कुल आय 5 लाख रुपए से अधिक नहीं है तो भुगतान की जाने वाली लेट-फाइलिंग फीस की राशि 1,000 रुपए होगी।
ये क्यों हो रहा है : अधिकांश विशेषज्ञों का मानना है कि यह एक तकनीकी गड़बड़ी है या आयकर विभाग ने टैक्स फाइलिंग सॉफ्टवेयर को विस्तारित समय सीमा के साथ अपडेट नहीं किया है। जानकारों के मुताबिक, टैक्स फाइल करने वालों को तब तक इंतजार करना चाहिए, जब तक कि डिपार्टमेंट सॉफ्टवेयर को अपडेट नहीं कर देता और लेट-फाइलिंग फीस को हटा नहीं देता। एजीएसएम एडवाइजरी के बिजनेस पार्टनर राहुल अग्रवाल ने कहा, ‘यह देखते हुए कि टैक्स फाइलिंग सॉफ्टवेयर पहले लेट फाइलिंग शुल्क का भुगतान किए बिना रिटर्न दाखिल करने की अनुमति नहीं देता है, हम अपने ग्राहकों को सीबीडीटी के मुद्दों को हल करने तक इंतजार करने की सलाह दे रहे हैं।
पोर्टल के ठीक होने का इंतजार करें : अग्रवाल ने कहा कि देर से फाइलिंग शुल्क का रिफंड प्राप्त करना अधिक कठिन काम हो सकता है, हमारे पास रिटर्न दाखिल करने का समय है, इसलिए हमें इंतजार करना चाहिए। इसलिए, यदि आप अपना रिटर्न दाखिल करने की योजना बना रहे हैं, तब तक प्रतीक्षा करें जब तक कि आयकर विभाग सॉफ्टवेयर को अपडेट न कर दे। साथ ही, कई टैक्स फाइलर्स और चार्टर्ड अकाउंटेंट नए आईटी पोर्टल तक पहुंचने के दौरान कई अन्य मुद्दों और गड़बड़ियों का सामना कर रहे हैं।