रिटायरमेंट को लेकर आज के समय में लोग कई जगहों पर निवेश की तैयारी कर रहे हैं। वहीं दो स्कीमें NPS और PPF आपको मैच्योरिटी पूरा होने पर अधिक फंड देते हैं। साथ ही इन स्कीमों में निवेश पर कई फायदे भी मिलते हैं। यहां इन दोनों स्कीमों के बारे में ही जानकारी दी जा रही है। इसको आप अपने फायदे ओर नुकसान समझकर निवेश कर सकते हैं। आइए जानते हैं इन दोनों स्कीमों में से कौन सी स्कीम आपके लिए बेहतर होगी।
जोखिम के आधार पर निवेश
पब्लिक प्रोविडेंट फंड या पीपीएफ सीमित जोखिम-मुक्त निवेश के साथ आता है। पीपीएफ की ब्याज दर 7.10 प्रतिशत प्रति वर्ष दी जाती है। साथ ही पीपीएफ पूरी तरह से एक डेट इंस्ट्रूमेंट है। जबकि नेशनल पेंशन सिस्टम या एनपीएस स्कीम इक्विटी और डेट दोनों का लाभ देती है। यहां एक निवेशक अपने निवेश पर 75 प्रतिशत तक इक्विटी एक्सपोजर चुन सकता है। टैक्स और निवेश विशेषज्ञों के मुताबिक, अगर कोई निवेशक कोई जोखिम लेने के मूड में नहीं है, तो पीपीएफ खाता खोल सकता है जबकि एक निवेशक जो कुछ जोखिम लेने के लिए तैयार है, एनपीएस खाता खोल सकता है।
आयकर लाभ
सेबी के टैक्स और निवेश के विशेषज्ञ जितेंद्र सोलंकी के अनुसार, पीपीएफ और एनपीएस दोनों ही आयकर अधिनियम की धारा 80 सी के तहत 1.50 लाख रुपये तक के निवेश पर आयकर छूट की अनुमति देते हैं। हालांकि, एनपीएस में धारा 80 सीसीडी के तहत अतिरिक्त आयकर छूट भी दिया जाता है। इस धारा के तहत एक करदाता एक वित्तीय वर्ष में अपने एनपीएस खाते में 50,000 रुपये तक के निवेश पर कर लाभ का दावा कर सकता है। यानी कि कोई NPS में निवेश करना चाहता है तो उसे 2 लाख रुपये तक का आयकर छूट मिलेगा।
ब्याज दर
पीपीएफ में ब्याज दर तिमाही आधार पर घोषित की जाती है और वार्षिक आधार पर चक्रवृद्धि ब्याज दर लागू होती है। इसलिए पीपीएफ ब्याज दर तिमाही पर बदलता रहता है, जबकि एनपीएस खाते में निवेशक के पास कई विकल्प है। कोई एनपीएस खाते में 75 प्रतिशत तक इक्विटी एक्सपोजर चुन सकता है। पीपीएफ में किसी का निवेश 100 प्रतिशत ऋण निवेश है जबकि किसी का एनपीएस निवेश ऋण और इक्विटी का मिश्रण है। यदि कोई निवेशक 60 प्रतिशत इक्विटी एक्सपोजर चुनता है और 40 फीसदी डेट एक्सपोजर, उस स्थिति में इक्विटी निवेश से लंबी अवधि में कम से कम 12 फीसदी सालाना उपज की उम्मीद है जबकि डेट एक्सपोजर लंबी अवधि में 8 फीसदी हो सकता है। मौजूदा पीपीएफ ब्याज दर 7.10 फीसदी से 2.9 फीसदी अधिक है।
कौन सा बेहतर है
पीपीएफ उन निवेशकों के लिए उपयुक्त है, जो शून्य जोखिम उठाने की क्षमता रखते हैं। हालांकि, अगर कोई निवेशक कुछ जोखिम लेने के लिए तैयार है, तो एनपीएस बेहतर है क्योंकि यह लगभग 3 प्रतिशत से 3.30 प्रतिशत अधिक रिटर्न देता है। इसके अलावा, एनपीएस खाताधारक एकल वित्तीय वर्ष में 2 लाख रुपये तक के निवेश पर आयकर लाभ का दावा कर सकता है, जबकि पीपीएफ में यह लाभ एक वित्तीय वर्ष में 1.50 लाख रुपये तक सीमित है।