वित्‍तीय वर्ष 2020-21 का इनकम टैक्‍स रिटर्न भरने की आखि‍री तारीख को 31 जुलाई से आगे बढाकर 30 सितंबर 2021 कर दिया है। वैसे कई लोगों खासकर उन टैक्‍सपेयर्स को इस बात की जानकारी नहीं होती है कि उन्‍हें कौन सा फॉर्म भरना होगा। उन्‍हें इस बात की जानकारी होना काफी जरूरी है कि उन्‍हें कौन सा आईटीआर फॉर्म भरना जरूरी है।

वास्‍तव में अलग-अलग टैक्‍सपेयर्स के लिए अलग-अलग आईटीआर फॉर्म होता है। जानकारी के अनुसार डिफ्रेंट कैटेगिरी के टैक्‍सपेयर्स के लिए अलग-अलग 7 तरह के फॉर्म होते हैं। जिसके हिसाब से टैक्‍सपेयर्स को उनकी कैटगिरी के हिसाब से फॉर्म भरना होता है। ये कैटेगरी टैक्सपेयर के स्टेटस, इनकम सोर्स और थ्रेसहोल्ड लिमिट, कारोबार पर डिपेंड करता है। आइए आपको भी बताते हैं कि आईटीआर फॉर्म कितने तरह के होते हैं।

इनके लिए हैं ITR 1 सहज : – जिनकी टोटल इनकम 50 लाख रुपए तक हैं।
– इस इनकम में सैलरी/पेंशन हाउस प्रॉपर्टी व अदर्स सोर्स जैसे ब्याज से हुई इनकम शामिल की जाती है।
– 5000 रुपए तक की एग्रीकल्‍चर इनकम भी शामिल होती है।
– यह फॉर्म किसी कंपनी में निदेशक हैं या जिसने अनलिस्टिड इक्विटी शेयरों में निवेश करने वालों या फिर बिजनेस/प्रोफेशन से इनकम पाने वाले लोगों के लिए य‍ह फॉर्म यूज नहीं कर सकते हैं।

इन लोगों के लिए है फॉर्म 2 : – यह फॉर्म उन लोगों या हिंदू अनडिवाइडेड फैमिली के लिए है, जिन्हें बिजनेस या प्रोफेशन से हुए प्रॉफिट से इनकम नहीं होती, लेकिन आईटीआर फॉर्म 1 के योग्‍य नहीं है।
– यह फॉर्म उन टैक्सपेयर के लिए है, जिन्हें सैलरी/पेंशन, हाउस प्रॉपर्टी व अदर सोर्स जैसे ब्याज से आय प्राप्त होती है।
– यह फॉर्म उन लोगों के लिए जिनके पास 50 लाख रुपए से ज्यादा है।

यह लोग भरते हैं ITR 3 फॉर्म : – यह फॉर्म वो लोग या एचयूएफ भर सकते हैं जिन्हें बिजनेस या प्रोफेशन से हुए प्रॉफिट से आय होती है। – कोई बिजनेस करने वाला, किसी कंपनी का इंडीविजुअल डायरेक्टर, अनलिस्टेड इक्विटी शेयरों में निवेश करने वाला, किसी फर्म में पार्टनर के तौर पर आय अर्जित करने वाला ITR 3 को भरने का पात्र है।
– रिटर्न में हाउस प्रॉपर्टी, सैलरी/पेंशन और अदर सोर्स से इनकम को शामिल किया जा सकता है।

ITR 4 सुगम क्‍या है :– यह फॉर्म वो लोग और एचयूएफ एवं पार्टनरशिप फर्म्स के लिए है, जिन्हें भारत के नागरिक के निवासी के तौर पर 50 लाख रुपए तक की कुल इनकम होती है।
– यह फॉर्म वो लोग भी भरते हैं जिन्हें ऐसे बिजनेस व प्रोफेशन से आय होती है, जो आयकर कानून के सेक्शन 44एडी, 44 एडीए या 44 एई के तहत कंप्यूटेड हैं।
– कैपिटल गेन्स से होने वाली आय और फॉरेन असेट का मालिक आईटीआर 4 का इस्तेमाल नहीं कर सकते।
– आय में सैलरी या पेंशन, एक हाउस प्रॉपर्टी, अन्य स्त्रोतों से आय भी शामिल है।
– अगर बिजनेस का टर्नओवर 2 करोड़ रुपए से ज्यादा है तो उसके मालिक को आईटीआर 3 भरना होगा।

कौन भरता है आईटीआर 5 फॉर्म : आईटीआर-1 से लेकर आईटीआर 4 तक भरने वाले, कंपनी या चैरिटेबल ट्रस्ट/इंस्टीट्यूशंस से अलग टैक्सपेयर्स के लिए है। आईटीआर 5, आईटीआर-4 के लिए योग्य पार्टनरशिप फर्म्स से अलग पार्टनरशिप फर्म्स के लिए, एलएलपी, एसोसिएशन ऑफ पर्सन्स, बॉडी ऑफ इंडीविजुअल्स आदि ऐसे टैक्सपेयर्स के लिए है।

आईटीआर 6 और आईटीआर 7 कौन कर सकता है यूज : इनकम टैक्‍स कानून के सेक्शन 11 के तहत एग्जेंप्शन क्लेम करने वाली कंपनियों से अलग कंपनियों के लिए आईटीआर फॉर्म 6 है।
– कंपनियों समेत उन व्यक्तियों के लिए जिन्हें केवल 139(4ए) या 139(4बी) या 139(4सी) या 139(4डी) के तहत रिटर्न फर्निश करने की जरूरत है, उनके लिए आईटीआर 7 फॉर्म है।