फिक्‍स डिपॉजिट में निवेश कर लोग भविष्‍य की प्‍लानिंग करते हैं। बैंक एफडी निवेशकों के लिए अलग-अलग निवेश अवधि पर विभिन्‍न ब्‍याज प्रोवाइड कराता है। हालांकि एफडी पर निवेश के साथ आप कुछ एफडी पर टैक्‍स सेविंग भी कर सकते हैं। टैक्‍स सेविंग FD में निवेश के साथ ही उच्‍च ब्‍याज दर का लाभ भी निवेशकों द्वारा प्राप्‍त किया जा सकता है।

टैक्‍स सेविंग फिक्स्ड डिपॉजिट (What is Tax Saving FDs)

टैक्स सेविंग फिक्स्ड डिपॉज़िट (FD) अकाउंट के रूप में जाना जाने वाला एक खाता प्रकार 1961 के आयकर अधिनियम की धारा 80C के तहत टैक्‍स छूट दिया जाता है। टैक्‍स सेविंग फिक्‍स डिपॉजिट खाता खोलकर, कोई भी निवेशक वार्षिक कटौती प्राप्त करने के लिए 1.5 लाख पात्र है। अगर कोई निवेश ज्‍वाइंट मोड खाता चयन करता है तो टैक्‍स बेनेफिट सिर्फ फर्स्‍ट होल्‍डर के लिए उपलब्‍ध होगा।

टैक्‍स सेविंग एफडी के लिए पांच साल की मैच्‍योरिटी अवधि होती है। हिंदु अनडिवाइडेड फैमिली (HUF) और व्‍यक्तिगत आयकर की धारा 80C टैक्‍स छूट के तहत योग्‍य है।

Tax saving FD के फीचर्स

  • टीडीएस का उपयोग मौजूदा नियमों के अनुसार किया जाएगा।
  • टैक्स बचाने वाली एफडी में पांच साल की लॉक-इन अवधि होती है।
  • ज्‍वाइंट खाते के मामले में केवल पहला जमाकर्ता ही धारा 80सी के तहत कर लाभ के लिए पात्र होगा।
  • पांच साल की लॉक-इन अवधि के दौरान, लोन की सुविधा नहीं दी जाती है।
  • टैक्स सेविंग टीडीएस के लिए ब्याज दरें मौजूदा ब्याज दर के अनुसार लागू होती हैं।
  • टैक्स सेविंग फिक्स्ड डिपॉजिट पर ब्याज दरें बैंक द्वारा अलग-अलग होती हैं, यहां सबसे ज्यादा टैक्स सेविंग FD ब्याज दर वाले बैंक हैं।

6.7 प्रतिशत का ब्‍याज देने वाले चार बैंक एफडी स्‍कीम

IndusInd Bank- 6.7 प्रतिशत 5 साल पर ब्‍याज देता है। वहीं DCB बैंक 6.60 फीसदी का ब्‍याज देता है। RBL बैंक 6.55 फीसदी का ब्‍याज, IDFC फर्स्‍ट बैंक 6.50 फीसदी और HDFC बैंक टैक्‍स सेविंग एफडी पर 6.10 फीसदी का रिटर्न देते हैं।

ब्‍याज दर पर टैक्‍स

एचडीएफसी बैंक की वेबसाइट के अनुसार, ब्याज आपके टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्‍स योग्य है। इसके अलावा, बैंक 10 फीसदी पर टीडीएस काटेगा, अगर आपकी सभी जमाओं और शाखाओं में आपकी ब्याज आय एक वित्तीय वर्ष में 10,000 रुपए से अधिक है। वहीं अगर पैन कार्ड जमा नहीं किया है तो बैंक 20% पर टीडीएस काटेगा।

खाताधारक के मौत के मामले में

एसबीआई के अनुसार, अगर खाताधारक की मौत हो जाती है तो उसका नॉमिनी या उत्ताराधिकारी टैक्‍स सेविंग एफडी के तहत खाते से रकम मैच्‍योरिटी अवधि समाप्‍त होने पर निकाल सकता है। वहीं ज्‍वाइंट खाते के मामले में अगर पहले सदस्‍य की मौत हो जाती है तो दूसरा सदस्‍य पूरी रकम निकाल सकता है। इसपर बैंक पूरे ब्‍याज का भुगतान करेगा और किसी तरह की पेनॉल्‍टी भी नहीं लगाएगा।