यदि आपके पास घाटे में चल रही संपत्ति है तो आप आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण यानी इनकम टैक्‍स अपीलेट ट्रि‍ब्‍यूनल, मुंबई के हालिया फैसले का लाभ उठा सकते हैं। इसे एक प्रोफ‍िटेबल अकाउंट (एसेट ट्रांसफर) से लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) के खिलाफ सेट-ऑफ किया जा सकता है, इस प्रकार ओवरऑल टैक्‍स लायबिलिटी को प्रभावी ढंग से कम किया जा सकता है।

आईटीएटी ने रखी नजीर
ITAT-मुंबई ने माइकल ई देसा बनाम आयकर अधिकारी अंतर्राष्ट्रीय कराधान मामले में दोहराया कि टैक्स-प्लानिंग एक कानूनी गतिविधि है और अगर कानून के ढांचे के भीतर किया जाता है तो इसे टैक्स से बचने के रूप में नहीं माना जा सकता है। यह सुनिश्चित करने के लिए, आयकर नियम के अनुसार, लांग टर्म कैपिटल लॉस को लांग टर्म कैपिटल गेन के अलावा किसी दूसरे इनकम के खिलाफ सेट ऑफ नहीं किया जा सकता है। हालांकि, शॉर्ट टर्म कैपिटल लॉस को लॉन्ग टर्म या शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन के खिलाफ सेट ऑफ किया जा सकता है।

क्‍या होगा फैसले का असर
कई बार असेसी ऑफ‍िसर ऐसे सेट-ऑफ पर सवाल उठाते हैं और दावा करते हैं कि करदाता टैक्स से बचने की कोशिश कर रहे हैं। नवीनतम फैसले से टैक्‍सपेयर्स को अब से सेट-ऑफ का दावा करने में मदद मिलेगी। इस विशेष मामले में, आईटीएटी ने अपीलकर्ता को संपत्ति की बिक्री पर लांग टर्म कैपिटल गेन के साथ एक नॉन लिस्‍टेड कंपनी के शेयरों की बिक्री पर नुकसान को समायोजित करने की अनुमति दी।

संक्षेप में मामला
अमरीकी नागरिक, टैक्‍यपेयर ने संपत्ति की बिक्री पर एलटीसीजी बनाया। उन्होंने एक नॉन लिस्‍टेड कंपनी में शेयरों की बिक्री पर लांग टर्म कैपिटल लॉस की सूचना आयकर विभाग को दी और कहा कि इसे मेरे एलटीसीजी के साथ सेट ऑफ कर दिया जाए। असेसी ऑफ‍िसर सेट ऑफ को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि शेयरों की बिक्री प्राइम ऑफ फेसी में काल्‍पनिक दिख रही है। जिसके खिलाफ टैक्‍सपेयर ने आईटीएटी में अपील की। पूरा मामला जानने के बाद आईटीएटी ने माना कि असेसी ऑफ‍िसर किसी लेनदेन की अवहेलना नहीं कर सकता क्योंकि इससे असेसी को टैक्‍स बेनिफ‍िट मिलता है।

फैसले के बारे में क्या कहते हैं विशेषज्ञ
यह देखते हुए कि आयकर कानून में ऐसे प्रावधान हैं जो आय से होने वाले नुकसान के एक सेट-ऑफ की अनुमति देते हैं। इस पर जानकार कहते हैं कि यह निर्णय बहुत अच्छी तरह से एक उदाहरण के रूप में सामने आ सकता है। वित्तीय परिसंपत्तियों की बिक्री पर पूंजीगत लाभ की योजना बनाने के तरीके – इक्विटी, बांड और अचल संपत्तियां – जो कि एक परिसंपत्ति वर्ग से दूसरे से आय के साथ नुकसान की भरपाई कर रहा है।