महंगाई के मोर्चे पर सरकार और देश की जनता को जून के महीने में मामूली राहत देखने को मिली है। जून में मई के मुकाबले खुदरा महंगाई में 0.04 फीसदी की कमी देखने को मिली है। जबकि एक इंटरनेशनल पोल के अनुसार देश में खुदरा महंगाई दर का अनुमान मई से ज्यादा लगाया गया था। वहीं दूसरी ओर देखने वाली बात ये हैं कि जून में महंगाई दर अब भी आरबीआई के लक्ष्य से ज्यादा है। यह लगातार दूसरा महीना है जब खुदरा महंगाई दर टारगेट से ज्यादा देखने को मिली है।
सरकार के आंकड़ों के अनुसार देश की खुदरा महंगाई दर जून में 6.26 फीसदी पहुंच गई है जो मई के महीने में 6.30 फीसदी थी। जबकि रॉयटर्स पोल में इसका अनुमान लगाया गया है। 6.60 फीसदी लगाया गया था। आपको बता दें कि रिजर्व बैंक ने अगले पांस साल में खुदरा महंगाई दर को 4 से 6 फीसदी तक रखने का फैसला किया है। आइए आपको भी बताते हैं कि सरकार की ओर से किस तरह के आंकड़ें पेश किए गए हैं।
अगर बात फूड इंफ्लेशन की करें तो यह 5.01 फीसदी से बढ़कर 5.15 फीसदी बढ़ गई है। वहीं महीने दर महीने आधार पर फ्यूल और लाइट इनफ्लेशन में भी इजाफा देखने को मिला है। मई के महीने के मुकाबले यह 11.58 फीसदी से बढ़कर जून में यह 12.68 फीसदी पर पहुंच गया। मई के महीने में रिटेल इंफ्लेशन 6.3 फीसदी पर पहुंच गई थी, जिसका कारण था फूड और फ्यूल की कीमतों में उछाल। कोरोना वायरस की वजही से ग्लोबल इकोनॉमी एक फिर से ओपन हो रही है। जिसकी वजह से डिमांड में बढ़ोतरी हो रही है। जिसकी वजह से फ्यूल के साथ कमोडिटी की कीमतों में तेजी आई है।
अगर फ्यूल की कीमतों की बात करें तो पिछले साल मई से अब तक पेट्रोल और डीजल की कीमत में 30 फीसदी का उछाल देखने को मिला चुका है। जानकारों की मानें तो पेट्रोल और डीजल की कीमत में लगातार इजाफा होने के कारण महंगाई में और ज्यादा इजाफा देखने को मिलेगा। जून की मॉनेटरी पॉलिसी में कहा गया था कि केंद्रीय बैंक का फोकस ग्रोथ पर बना हुआ है, लेकिन बढ़ती महंगाई चिंता की वजह है।
इकरा की चीफ इकोनॉमिस्ट अदिति नायर के अनुसार अगर खुदरा महंगाई की दर 6 फीसदी से ज्यादा रहती है जो तो ब्याज दर को समय से पहले सामान्य स्तर पर लाने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। जानकारों के अनुसार इस साल आरबीआई महंगाई की ऊंची दर को बर्दाश्त करेगा, क्योंकि मांग के चलते महंगाई बढ़ने के संकेत नहीं हैं।