योग गुरु बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद का सालाना टर्नओवर 10,000 करोड़ रुपये के करीब है, लेकिन एक दौर में इसकी शुरुआत उन्होंने कर्ज से ही की थी। बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने 2006 में जब कंपनी की स्थापना की थी तो उन्होंने 50-60 करोड़ रुपये का पर्सनल लोन लिया था। तब उनके पास न तो कोई बैंक खाता था और न ही बैंकिंग से जुड़ा कोई अनुभव था। लेकिन इसके बाद भी उन्हें इतना बड़ा लोन मिला था। दरअसल यह लोन बाबा रामदेव के अनुयायी एनआरआई दंपती सुनीता और सरवन पोद्दार ने दिया था। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक दोनों ने यह लोन बिजनेस शुरू करने के लिए दिया था और उनकी कंपनी में 3 फीसदी हिस्सेदारी भी है।
कंपनी के बिजनेस मॉडल के बारे में बताते हुए आचार्य बालकृष्ण ने कहा था कि बाबा रामदेव कहते हैं, कर्ज से काम करो। कर्ज लेने से दिमाग ठीक रहता है। पतंजलि आयुर्वेद की सफलता कॉरपोरेट कल्चर वाली कंपनियों के लिए हमेशा ही एक उत्सुकता का विषय रही है। कंपनी का वर्क कल्चर भी सबसे अलग है और हर कर्मचारी एक-दूसरे से ‘ओम’ बोलकर अभिवादन करता है। कंपनी परिसर में कर्मचारियों के मांसाहार करने पर रोक है। इसके अलावा कोई भी व्यक्ति स्मोकिंग और ड्रिंकिंग भी पतंजलि परिसर में नहीं कर सकता।
आचार्य बालकृष्ण ने एक बार कहा था कि पतंजलि में लैंगिक समानता पर भी फोकस रहता है और यहां पुरुषों एवं महिलाओं के बीच 70:30 का अनुपात है। बता दें कि पतंजलि आयुर्वेद ने बीते 14 सालों में तेजी से विस्तार किया है। बीते साल के अंत में ग्रुप ने रुचि सोया का भी अधिग्रहण किया था। कंपनी ने 4,350 करोड़ रुपये में यह डील की थी। फिलहाल रामदेव के छोटे भाई रामभरत इस कंपनी के एमडी के तौर पर जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।
बाबा रामदेव के भाई का भी है बिजनेस में दखल: जून तिमाही के नतीजे आने के बाद आचार्य बालकृष्ण ने एमडी के पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद उन्हें यह जिम्मेदारी दी गई थी। इसके अलावा वह पतंजलि आयुर्वेद के समूचे कारोबार के ही दैनिक कामकाज की जिम्मेदारी संभालते हैं।
कोरोना इम्युनिटी बूस्टर भी बेच रही पतंजलि: हाल ही में कंपनी की ओर से कोरोना से निपटने के दावे के साथ कोरोनिल किट लॉन्च की गई थी, जिस पर विवाद के बाद पतंजलि आयुर्वेद ने इस इम्युनिटी बूस्टर करार दिया है। दरअसल कोरोनिल से कोरोना खत्म होने के दावों को लेकर केंद्रीय आयुष मंत्रालय ने आपत्ति जताई थी और कहा था कि बिना मंजूरी के इस तरह की बात नहीं की जानी चाहिए। इसके अलावा कंपनी की ओर से कोरोनिल के ट्रायल को लेकर भी सवाल उठे थे।