हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले के सैयद अलीपुर गांव में योग गुरु बाबा रामदेव किसान परिवार से आते हैं। आज भी उनके बड़े भाई देवदत्त यादव गांव में ही खेती करते हैं। इससे पहले वह सीआरपीएफ में थे और रिटायरमेंट के बाद से ही किसानी कर रहे हैं। देवदत्त अपनी पत्नी धनमाया के साथ आज भी उस सैयद अलीपुर में रहते हैं, जहां बाबा रामदेव का 1965 में जन्म हुआ था। बचपन में उनका नाम रामकृष्ण यादव था, लेकिन संन्यास लेने के बाद वह रामदेव हो गए। तीन भाईयों और एक बहन के बीच दूसरे नंबर के बाबा रामदेव अब हरिद्वार में ही रहते हैं। इसके अलावा उनके भाई रामभरत यादव भी उनके साथ ही जुड़े हैं और पतंजलि आयुर्वेद के दैनिक कामकाज को देखते हैं। रामभरत खेती-किसानी से भी जुड़े हुए हैं।
अकसर चर्चाओं से परे ही रहने वाले रामभरत पहली बार मीडिया में तब सुर्खियों में आए थे, जब उन्हें हरिद्वार की ट्रक यूनियन और पतंजलि फूड एंड हर्बल पार्क के गार्ड्स के बीच हुए विवाद के मामले में हिरासत में लिया गया था। पतंजलि के आंतरिक सूत्रों के मुताबिक रामभरत की रिपोर्टिंग सीधी रामदेव और सीईओ आचार्य बालकृष्ण को है। हायरिंग, प्रोडक्शन और क्वॉलिटी मैनेजमेंट जैसे कामों को वह देखते हैं। बाबा रामदेव के पिता रामनिवास और मां गुलाब देवी भी बेहद साधारण जिंदगी जी रहे हैं और फिलहाल हरिद्वार में ही रहते हैं।
4 साल की उम्र से ही हुआ संन्यास की ओर रुझान: योग गुरु बाबा रामदेव के संन्यास की ओर रुझान होने की कहानी भी दिलचस्प है। कहा जाता है कि एक बार सैयद अलीपुर गांव में एक साधु का आना हुआ था। उनकी संगत में रहने के दौरान बाबा रामदेव का योग और वैदिक शिक्षा के प्रति रुझान बढ़ा था। तब उनकी उम्र बेहद कम थी। एक बार उन्होंने खुद भी कहा था कि उनका 4 साल की उम्र में ही संन्यास की ओर रुझान हो गया था।
यहां हुई थी आचार्य बालकृष्ण से पहली मुलाकात: बाबा रामदेव के करीबी सूत्रों के मुताबिक आज पतंजलि के सीईओ के तौर पर काम देख रहे आचार्य बालकृष्ण से उनकी पहली मुलाकात 1990 में गुरुकुल में हुई थी। इसके बाद दोनों की दोस्ती बढ़ती गई और आज दोनों पतंजलि को मिलकर चला रहे हैं। फिलहाल बाबा रामदेव के पतंजलि समूह का टर्नओवर 10,000 करोड़ रुपये सालाना के करीब है।