नामा की लॉ फर्म Mossack Fonseca के लीक हुए पेपर्स में दुनियाभर के कई हस्तियों के नाम हैं। पनामा पेपर्स के नाम के इस लीक के जरिए खुलासा हुआ है कि कई दिग्‍गजों ने टैक्‍स हेवन देशों में सीक्रेट फर्म खोली। इसके लिए उन्‍होंने Mossack Fonseca को हायर किया। इस लीक में 11 मिलियन पेपर उजागर हुए हैं। इनमें भारत, चीन, रूस, पाकिस्‍तान और अफ्रीका व दक्षिण अमेरिका के कई देशों के नेताओं, कारोबारियों, खिलाडि़यों के नाम हैं। साथ ही 500 भारतीय भी शामिल हैं। दूसरी सूची:

नीरा राडिया: राडिया ने एक कंपनी बनाने के लिए खुद को ब्रिटिश नागरिक बताया है। दिलचस्प बात ये है कि राडिया की कंपनी में उनके पिता भी शेयर होल्डर हैं और उनकी नागरिकता भी ब्रिटिश दिखाई गई है। इन पेपर्स की जांच में पता चला है कि विदेश में राडिया की एक कंपनी को 1994 में मोसेक फोंसेका द्वारा ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स (बीवीआई) में रजिस्टर कराया गया था, जिसका नाम क्राउनमार्ट इंटरनेशनल ग्रुप लिमिटेड है। 2004 तक इससे जुड़े दस्तावेजों पर राडिया ने ही साइन किए थे। राडिया की तरफ से सफाई आई है कि यह कंपनी उनके पिता इकबाल मेनन ने बनाई थी इसमें नाडिया का कोई शेयर नहीं है। राडिया के ऑफिस की ओर से आई सफाई में कहा गया है कि राडिया के जन्म  पास यूके की नागरिकता है और उनके पास यूके का पासपोर्ट है।

गौतम और करण थापर: दोनों बृज मोहन थापर के बेटे हैं। 1999 में थापर ग्रुप के बंटवारे के बाद दोनों के पास क्रॉम्‍पटन ग्रीव्‍ज कंपनी का मालिकाना हक है। करण साल 2000 से क्रॉम्‍पटन ग्रीव्‍ज के निदेश हैं। वहीं गौतम चाचा ललित मोहन के साथ बल्‍लारपुर इंडस्‍ट्रीज लिमिटेड में काम किया। 2005 में ललित मोहन ने कामकाज गौतम को सौंप दिया। मोसेक फोंसेका के दस्‍तावेजों के अनुसार गौतम और करण ने 2005 में पनामा में प्राइवेट फाउंडेशन खोला था। गौतम ने चार्लवुड फाउंडेशन खोला। उनकी पत्‍नी स्‍टेफनी प्रिंसीपल बेनेफिशयरी हैं। वहीं करण ने निकाेम फाउंडेशन खोला। इस बारे में गौतम थापर के प्रवक्‍ता ने कहा कि उन्‍हाेंने ऐसी कोई कंपनी नहीं खोली। हालांकि उनकी पत्‍नी इसमें शामिल थी लेकिन वही ब्रिटेन में रहती हैं। वहीं करण थापर की ओर से जवाब नहीं आया। (तस्‍वीर में गौतम थापर)

अश्विनी कुमार मेहरा: इनके नाम से बहामाज और ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स में सात संपत्तियां हैं। मेहरासंस ज्‍वैलस के मालिक अश्विनी कुमार के साथ उनके बेटे दीपक और नवीन ज्‍वैलर्स बिजनेस में साझेदार हैं। मेहरा परिवार ने 1999 में सात कंपनियां रजिस्‍टर कराईं। इनमें अश्विनी कुमार, उनकी पत्‍नी माला रानी, बेटे दीपक व नवीन, बहू पूजा और शालिनी को डायरेक्‍टर बताया गया है। इस बारे में दीपक मेहरा ने बताया कि हां उनका परिवार दो कंपनियों में शेयरहोल्‍डर हैं। लेकिन ये कंपनियां लिबरलाइज्‍ड रेमिटेंस स्‍कीम के तहत बनाई गई थी। नियमानुसार ही इनमें निवेश किया गया। परिवार के सभी सदस्‍यों की इनकम टैक्‍स फाइल में भी इसका जिक्र किया गया है। हालांकि उन्‍होंने कहा कि आपके द्वारा बताई गई अन्‍य कपंनियों से हमारा कोई लेना देना नहीं है।

सतीश गोविंद समतानी, विश्‍लव बाहादुर और हरीश मोहनानी: मोसेक फोन्‍सेका के रिकॉर्ड के अनुसार इनके नाम पर दो कंपनियां ब्रिटिश वर्जिन आईलैंड में रजिस्‍टर हैं। तीनों बेंगलुरु के रहने वाले हैं। तीनों रेडिमेड कपड़ों के काराबोर से जुड़े हुए हैं। खुलासे के बारे में बहादुर ने कहा कि विदेशी व्‍यापार के लिए ये कंपनियां बनाई गई थी। लेकिन अब इन्‍हें बंद कर दिया गया है। जब कंपनियां अस्तितव में थी तब सारे नियमों को पालन किया गया। (तस्‍वीर में Mossack Fonseca का दफ्तर)

गौतम सींगल: पंचकुला में रहने वाले सींगल पेशे से इंवेस्‍टमेंट मैनेजमेंट और आईटी कंसल्‍टेंट हैं। पनामा पेपर्स के अनुसार उन्‍होंने खुद को 400 मिलियन डॉलर की इक्विटी फर्म से जुड़़ा हुआ बताया। उन्‍हाेंने 2006 में सबसे पहले कंपनी खोली जिसका 2009 में नाम बदल दिया गया। उन्‍होंने कहा कि कंपनी से उनका कोई वास्‍ता नहीं है। ये मेरे पिता की कंपनी है। सींगल ने कहा कि अब ये कंपनी शायद बंद हो चुकी है।

वि‍वेक जैन: विवेक जैन मध्‍य प्रदेश में कृषि यंत्र की दुकान चलाते हैं। रिकॉर्ड के अनुसार वे एक कंपनी में डायरेक्‍टर जबकि दूसरी में शेयरहोल्‍डर थे। एक कंपनी ब्रिटिश वर्जिन आईलैंड और दूसरी हांगकांग में रजिस्‍टर्ड हैं। उन्‍हाेंने बताया कि उन्‍हें इन कंपनियों के बारे में कुछ नहीं पता। यदि मेरे नाम से कोई कंपनी थी तो मुझे जानकारी तो होनी चाहिए थी।

रंजीत दहुजा, कपिल सैन गोयल: दोनों बर्कले ऑटोमोबाइल्‍स चलाते हैं। इनके पास चंडीगढ़ में टाटा मोटर्स्‍ और ह्यूंडई की डीलरशिप हैं। दोनों का नाम ब्रिटिश वर्जिन आईलैंड स्थित एक कंपनी में डायरेक्‍टर के रूप में हैं। इस बारे में उन्‍होंने कहा कि हमने कुछ साल पहले यह कंपनी बनाई थी। हालांकि इसने कामकाज शुरू नहीं किया था।

अशोक मल्‍होत्रा: वे ब्रिटिश वर्जिन आर्इलैंड में स्‍थापित एक कंपनी में डायरेक्‍टर थे। दस्‍तावेजों के अनुसार ब्रिटिश नागरिक संदीप रस्‍तोगी इस कंपनी के पहले निदेशक थे। बाइ में मल्‍होत्रा बने। उनका जवाब आया कि उन्‍हें अब कुछ याद नहीं। इस मामले को काफी वक्‍त हो चुका है। संदीप रस्‍तोगी मेरे दोस्‍त हैं।