सरकार और कॉरपोरेट जगत को निराश करते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने वित्त वर्ष 2017-18 की अपनी दूसरी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में बुधवार को प्रमुख ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया और इसे 6.25 फीसदी पर बरकरार रखा है। शीर्ष बैंक ने लगातार चौथी मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो या अल्पकालिक ब्याज दरों को यथावत रखा है। इससे पहले साल 2016 के अक्टूबर में आरबीआई ने रेपो रेट में 25 आधार अंकों की कमी की थी, तब से यह 6.25 फीसदी पर बरकरार है।

बुधवार को लिए गए फैसले में मौद्रिक समीक्षा समिति के पांच सदस्यों ने ब्याज दरों में बदलाव नहीं करने के पक्ष में मतदान किया, जबकि एक सदस्य इसके खिलाफ थे। आरबीआई ने अप्रैल में की गई अपनी पिछली मौद्रिक नीति समीक्षा में प्रमुख ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया था, लेकिन रिवर्स रेपो रेट को बढ़ा कर छह फीसदी कर दिया था।

गौरतलब है कि 5 जून को ही भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा कहा गया था कि बुधवार को की जानेवाली मौद्रिक नीति समीक्षा में ब्याज दरों में किसी परिवर्तन की उम्मीद नहीं है। हालांकि नवीनतम आंकड़ों में मुद्रास्फीति और आर्थिक वृद्धि दर दोनों में गिरावट दर्ज की गई है। पिछले महीने सरकार के सांख्यिकीविद द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, देश का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) दर मार्च में खत्म हुई तिमाही में गिरकर 6.1 फीसदी पर आ गई, जोकि नवंबर में की गई नोटबंदी का नतीजा है।

इस दौरान अप्रैल में खुदरा महंगाई दर घटकर 2.99 फीसदी रही, जोकि मार्च में 3.89 फीसदी थी। इनमें खाद्य पदार्थो की कीमतों में सबसे ज्यादा गिरावट देखी गई है।

सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा जारी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित नई सीरीज के मुताबिक, पिछले साल के अप्रैल में मुद्रास्फीति की दर 5.47 फीसदी थी। वहीं, समीक्षाधीन अवधि में उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक (सीएफपीआई) गिरकर 0.61 फीसदी दर्ज की गई, जो मार्च में 2.01 फीसदी थी।

आरबीआई ने अप्रैल में अपनी पिछली मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो दर या अल्पकालिक ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं करते हुए इसे 6.25 फीसदी पर रखा था। आरबीआई ने कहा था, “मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) का लक्ष्य मध्यम अवधि में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक को चार फीसदी (दो फीसदी ऊपर-नीचे) रखना है, जबकि विकास को भी बढ़ावा देना है।