विश्व व्यापार संगठन के सदस्यों को भारत के खाद्य सुरक्षा से जुड़े मुद्दे का स्थायी समाधान करना ही है और देश को इसमें कोई ‘अड़चन’ नजर नहीं आती। खाद्य सबसिडी को सीमित रखने की शर्तों से जुड़े इस मुद्दे पर यह बात वाणिज्य व उद्योग मंत्री निर्मला सीतारमण ने कही। सीतारमण ने कहा कि इस विषय में हमारे पास ‘शांति उपबंध’ है ही और यह स्वाभाविक है कि स्थायी समाधान विश्व व्यापार संगठन (डब्लूटीओ) स्थायी समाधान प्रदान करे। यह कैसे किया जाएगा, मुझे इसमें कोई अड़चन नजर नहीं आती है। यह नैरोबी सम्मेलन से पहले होता है या नहीं, इस पर नजर रखनी होगी।

कई महीने के गतिरोध के बाद पिछले साल नवंबर में डब्लूटीओ ने भारत में अनाज के सरकारी भंडार पर अंकुश हटाए जाने की मांग मान ली थी क्योंकि देश में एक बड़ी आबादी के भोजन की सुरक्षा के लिए चलाये जा रहे कार्यक्रम के लिए अनाज का सरकारी स्टाक जरूरी है।
डब्लूटीओ की आम परिषद, संगठन की फैसला करने वाली शीर्ष संस्था ने भारत की अपने खाद्य भंडार से जुड़े मुद्दों का स्थायी समाधान होने तक शांति प्रावधान की अवधि बढ़ाने की मांग स्वीकार कर ली है। इस प्रावधान के तहत इसका समाधान निकलने तक कोई देश भारत के खिलाफ कृषि सबसिडी पर उत्पादन के 10फीसद तक सीमित रखने के प्रावधान का उल्लंघन करने के लिखाफ डब्ल्यूटीओ में कार्रवाई की मांग नहीं कर सकता है।

भारत ने 10 फीसद खाद्य सबसिडी की सीमा के आकलन के फार्मूले में संशोधन करने की भी मांग की है जो 1986-88 के अंतरराष्ट्रीय मूल्यों पर आधारित है। विकल्प के तौर पर यह भी कहा गया है कि भारत के इस कार्यक्रम जैसी योजनाओं को इस सबसिडी सीमा के इतर मंजूरी दी जाए। स्थायी समाधान 31 दिसंबर तक नहीं निकला तो,आगे समाधान मिलने तक इस शांति प्रावधान को जारी रखा जाएगा।

सीतारमण ने कहा- पिछले साल हमने शांति प्रावधान तय किया ताकि सार्वजनिक भंडारण के लिए पूर्ण स्थायी समाधान मिलने तक हमारे पास कम से कम कुछ ताकि हम अपने किसानों को मदद कर सकें। खाद्य सुरक्षा का मुद्दा कई विकासशील देशों से जुड़ा है जो अपने यहां गरीबों को सबसिडीशुदा खाद्यान्न प्रदान करते हैं। व्यापार सुविधा समझौते (टीएफए)के संबंध में मंत्री ने कहा कि भारत समझौते के प्रति प्रतिबद्ध है और से पूर्ण रूप से लागू करने के लिए काम करना शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा- वित्त मंत्री ने व्यापर सुविधा प्राप्त करने के संबंध में पहले ही घोषणाएं की हैं। चाहे बंदरगाहों को और सुचारू तरीके से चलाने की बात हो, सुविधाएं आनलाईन करने की हो, चौबीसों घंटे सीमाशुल्क सुविधा मुहैया कराने की हो, ये सब व्यापार सुविधा के तहत आते हैं। सीतारमण ने कहा कि भारत व्यापार सुविधा समझौते की भरपाई के लिए डब्लूटीओ को अपनी सूची सौंपेगा।

सीतारमण ने कहा कि जिन मुद्दों पर बाली मंत्रिस्तरीय बैठक में सहमति हुई थी उनकी अनिवार्यताएं पूरी कर ली गई हैं। उन्होंने कहा- हमें बाली मंत्रिस्तरीय प्रतिबद्धताओं का सम्मान करना है। इसलिए बाली समझौते की शर्तें पूरी करने की दिशा में हम अग्रसर हैं और हम चाहते हैं कि विश्व व्यापार संगठन भी उस दिशा में आगे बढ़े। ये देखना होगा कि नैरोबी सम्मेलन के बाद स्थिति कैसी रहती है, दोहा दौर के विकास संबंधी विभिन्न मुद्दों की कितनी अनिवार्यताएं दिसंबर से पहले पूरी होने से रह जाती हैं। क्या इन्हें नैरोबी सम्मेलन के बाद भी आगे बढ़ाया जाएगा।

डब्लूटीओ की 10वीं मंत्रिस्तरीय बैठक 15-18 दिसंबर तक केन्या के नैरोबी में होगी। दोहा दौर की वार्ता 2001 में शुरू हुई थी जो अमीर और विकसित देशों के बीच किसानों को दी जाने वाली सब्सिडी पर विवाद के मद्देनजर जुलाई 2008 से अटकी पड़ी है।