सार्वजनिक क्षेत्र की कोल इंडिया को बिना जनसुनवाई के मौजूदा परिचालनों की उत्पादन क्षमता में एकबारगी 50 प्रतिशत वृद्धि के लिए पर्यावरण मंजूरी नहीं मिल पाई है। कंपनी 2020 तक 90.8 करोड़ टन का उत्पादन हासिल करने का लक्ष्य लेकर चल रही है।
भूमि अधिग्रहण और पुनर्वास तथा पुनर्स्थापना में देरी की वजह से भविष्य की कोयला खनन परियोजनाएं अटकी हुई हैं। ऐसे में कोल इंडिया ने अपने मौजूदा परिचालनों में जनसुनवाई के बिना एकबारगी उत्पादन क्षमता में 50 प्रतिशत बढ़ोतरी के लिए पर्यावरण मंजूरी को आवेदन किया था।
पर्यावरण मंत्रालय की एक विशेषज्ञ आकलन समिति (ईएसी) ने हालिया बैठक में इस प्रस्ताव के आकलन के बाद कहा, ‘‘ईआईए अधिसूचना, 2015 में 7:2: के तहत बिना जनसुनवाई के 50 प्रतिशत उत्पादन विस्तार की अनुमति नहीं दी जा सकती।’’
ईएसी की बैठक के मिनट्स के अनुसार, उत्पादन क्षमता में विस्तार से खान का जीवनकाल घटेगा और इससे स्थानीय समुदायों का जीवनस्तर बुरी तरह प्रभावित होगा। इससे वायु की गुणवत्ता, कोयले के रखरखाव और परिवहन पर भी असर पड़ेगा।
ईएसी ने कहा कि इस तरह के किसी प्रस्ताव पर विचार करते हुए सामाजिक आर्थिक प्रभाव के पहलुआें का विस्तृत नमूना अध्ययन किए जाने की जरूरत है।