जीएसटी परिषद प्रस्तावित वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की दरों पर यहां दो दिन चली बैठक में आमसहमति की ओर झुकाव के बावजूद फैसला नहीं कर सकी और इस पर निर्णय अगले महीने के लिए टाल दिया गया है। हालांकि, केंद्र और राज्य विलासिता की वस्तुओं तथा ‘अहितकर’ उत्पादों पर उच्चतम दर के साथ उस पर उपकर लगाने को लेकर सहमति की दिशा में बढ़ चुके हैं। केंद्र और राज्यों के प्रतिनिधियों के महत्वपूर्ण निकाय जीएसटी परिषद की इस बैठक में दोहरे नियंत्रण को लेकर मतभेद उभर गए जबकि इन्हें पिछली बैठक में निपटा लिया गया था। राज्यों ने मांग की है कि 11 लाख सेवाकर दाताआें पर उनका नियंत्रण रहे, वहीं केंद्र ने सालाना 1.5 करोड़ रुपए की राजस्व सीमा के सभी डीलरों पर राज्यों के विशिष्ट नियंत्रण को समाप्त करने का प्रस्ताव किया।
जीएसटी में विलासिता और अहितकर वस्तुओं पर उच्चतम दर के साथ साथ उपकर लगाने का प्रस्ताव है। उपकर से मिलने वाले राजस्व का इस्तेमाल 1 अप्रैल, 2017 से पहले पांच साल के दौरान राज्यों को राजस्व-हानि की स्थिति में उसकी भरपाई के लिए किया जाएगा। इस उपकर के विरोध को लेकर लगभग सभी राज्यों में सहमति थी।
विशेषज्ञों और उद्योग जगत ने उपकर के प्रस्ताव का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि इससे एक राष्ट्र, एक कर की धारणा समाप्त हो जाएगी।
जीएसटी परिषद की दो दिन की बैठक के आज संपन्न होने तक चार स्लैब के कर ढांचे 6, 12, 18 और 26 प्रतिशत पर अनौपचारिक सहमति बन बन गयी है।
निचली दर आवश्यक वस्तुआें तथा उच्च्ंची दर लक्जरी व तंबाकू, सिगरेट, शराब जैसे अहितकर उत्पादों के लिए होगी। हालांकि, इस पर फैसला अगली बैठक तक के लिए टाल दिया गया है।
वित्त मंत्री अरच्च्ण जेटली ने कहा कि जीएसटी परिषद की अगली बैठक 3-4 नवंबर को होगी जिसमें कर की दरों पर फैसला किया जाएगा। पहले जीएसटी परिषद की बैठक तीन दिन के लिए होनी थी।
उन्होंने कहा कि स्लैब निचली होनी चाहिए इस पर विचार विमर्श अच्छा है। लेकिन यदि हम कर राजस्व की हानि होती है या स्लैब को निचले स्तर पर रखने के लिए काफी उच्च्ंची कर दर लगाई जाती है तो यह उचित नहीं होगा।