नया साल बैंकिंग सेक्‍टर के लिए जोरदार साबित हो सकता है। दरअसल, भारतीय रिजर्व बैंक सरकारी के साथ ही निजी बैंकों को लगातार बैड लोन को पहचानने के लिए प्रेरित कर रहा है। उसका यह प्रयास रंग लाया है। आरबीआई का का मानना ​​है कि जोखिम वाले कर्ज (NPA) को लेकर बैंकों के लिए बदतर वक्त लगभग बीत चुका है। केंद्रीय बैंक अनुमान में चालू वित्त वर्ष में NPA में गिरावट की संभावना जताई गई है। अगर ऐसा होता है तो वर्ष 2015 के बाद पहली बार होगा जब नियमों में सख्ती के बाद एनपीए से राहत ही खबर आ सकती है। द इकॉनोमिक टाइम्स के मुताबिक, आरबीआई का अनुमान है कि मार्च 2019 तक कुल बैड लोन 10.3 फीसदी पर आ जाएगा। सितंबर 2018 में बैड लोन 10.8 फीसदी और मार्च 2018 में यह 11.5 फीसदी था। इस अवधि के दौरान कुल एनपीए अनुपात में गिरावट दर्ज की गई।

आरबीआई ने अपनी 18वीं फाइनेंशियल स्टेबिलिटी रिपोर्ट में कहा, ‘इंपेयर्ड एसेट्स के बोझ से संभावित रिकवरी के संकेत मिल रहेे हैं। पब्लिक और प्राइवेट, दोनों तरह के बैंकों के ग्रॉस एनपीए रेशियो में (छमाही आधार पर) गिरावट दिखी है। ऐसा मार्च 2015 के बाद पहली बार हुआ है।’ शक्तिकांत दास के आरबीआई गवर्नर बनने के बाद यह पहली फाइनेंशियल स्टेबिलिटी रिपोर्ट है। इसमें कहा गया, ‘बैंकिंग स्टेबिलिटी इंडिकेटर दिखा रहा है कि बैंकों की एसेट क्वॉलिटी में सुधार आया है, हालांकि प्रॉफिटेबिलिटी का कम होना जारी है।’

2015 में आरबीआई ने एसेट क्वॉलिटी रिव्यू शुरू किया था। उससे बैंकों को कई लोन को बैड एसेट्स के रूप में दर्ज करना पड़ा, जबकि वे उन्हें स्टैंडर्ड एसेट के रूप में दिखा रहे थे। बैंकों की इस हरकत के चलते कई कंपनियां अपने लोन की रिस्ट्रक्चरिंग ऐसी शर्तों पर कराती रहीं, जिन्हें पूरा करना अससंभव सा था। ये कंपनियां लगातार डिफॉल्ट भी करती जा रही थीं।

हालांकि आरबीआई की सख्ती से अब आया बदलाव सरकार के लिए अच्छी खबर है। सरकार इकनॉमिक एक्टिविटी बढ़ाने और रोजगार के ज्यादा मौके बनाने के लिए कर्ज वितरण की रफ्तार बढ़ाना चाहती है। फाइनेंशियल सर्विसेज सेक्रेटरी राजीव कुमार ने ईटी से पिछले सप्ताह कहा था कि सरकारी बैंकों के बैड लोन की मात्रा घट रही है और उन्होंने अपने अधिकांश स्ट्रेस्ट एसेट्स को बही-खाते में दर्ज कर लिया है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि ओवरऑल स्थिति भले ही सुधर रही हो, लेकिन स्ट्रेस्ट टेस्ट के हालात में बैड लोन में उछाल से कई बैंकों को दिक्कत होगी और वे मिनिमम कैपिटल रिक्वायरमेंट्स से नीचे चले जाएंगे।