रिटायरमेंट के बाद लोगों को फंड की आवश्‍यकता अधिक होती है, क्‍योंकि उन्‍हें हर महीने का खर्च चलाने के लिए कोई निश्चित आय का सोर्स नहीं मिलता है। हालांकि लोगों को रिटायर होने पर कंपनी या सरकार की ओर से फंड दिया जाता है, लेकिन अगर इन पैसों का निवेश नहीं किया गया तो एक समय के बाद फंड की कमी हो सकती है।

ऐसे में अगर आप भी रिटायरमेंट पर ज्‍यादा फंड पाना चाहते हैं तो यहां कुछ विकल्‍प के तहत निवेश की प्‍लानिंग कर सकते हैं। आप दो तरह के निवेश विकल्‍प फिक्‍स इनकम सिक्‍योरिटी और ग्रोवि‍ंग सिक्‍योरिटी का चयन कर सकते हैं। हालांकि लोगों को महंगाई दर, आवश्‍यकता और जीवन शैली के हिसाब से निवेश की योजना तैयार करनी चाहिए, यहां कुछ आपके लिए निवेश विकल्‍प दिया गया है।

पब्‍लिक प्रोविडेंड फंड (PPF)

रिटायरमेंट कोष बनाने के लिए यह एक लोकप्रिय निवेश विकल्प है। हालांकि लॉक-इन अवधि 15 वर्ष है, कोई व्यक्ति विशेष परिस्थितियों जैसे चिकित्सा व्यय या ऐसी किसी वित्तीय आपात स्थिति में पांच साल के बाद समय से पहले निकासी का विकल्प चुन सकता है। पीपीएफ निवेश पर धारा 80सी के तहत टैक्स छूट भी मिलती है।

इक्विटी शेयरों में निवेश

अगर आप थोड़ा रिस्‍क लेना चाहते हैं और शेयर मार्केट की समझ है तो आप इक्विटी में निवेश कर सकते हैं, जो आपको मुद्रास्फिति के बदले अच्‍छा कापर्स तैयार करके दे सकता है। इक्विटी निवेश बाजार के जोखिम के अधीन हैं और लाभांश से होने वाली आय के साथ-साथ पूंजीगत लाभ पर टैक्‍स भी लगता है। इक्विटी आधारित निवेश समझ के अनुसार कर सकते हैं।

म्यूचुअल फंड में निवेश

थोड़ा कम रिक्‍स के मामले में आपके लिए म्‍यूच्‍युल फंड आपके लिए बेहतर विकल्‍प हो सकता है। यह लंबे समय में आपको अच्‍छा रिटर्न दे सकता है। म्यूचुअल फंड में निवेश इन दिनों व्यवस्थित निकासी योजनाओं के साथ आता है, जो र‍िटायरमेंट के बाद महीने के आय के रूप में लाभ दे सकता है।

बुलि‍यन मार्केट

सोना, चांदी और प्लेटिनम जैसी कीमती धातुओं में निवेश ने हमेशा अच्छा रिटर्न दिया है और रिटायरमेंट योजना के लिए प्राथमिकता निवेश विकल्प रहा है। कीमती धातुओं में निवेश करने से न केवल एक निवेशक को जोखिम से बचने के रास्ते पर चलने में मदद मिलती है, बल्कि बाजार की अस्थिरता से फंड नुकसान को मैनेज भी करने में मदद मिलती है।