केंद्रीय ट्रेड यूनियनों की ओर से शुक्रवार को देशव्यापी हड़ताल के चलते अर्थव्यवस्था को 18,000 करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान है। इस हड़ताल का असर ट्रांस्पोर्ट, मैन्युफैक्चरिंग, बैकिंग समेत तमाम सेवाओं पर दिखा। भारतीय वाणिज्य एंव उद्योग मंडल (एसोचैम) ने कहा कि इस तरह के हड़ताल भारतीय अर्थव्यवस्था के ग्रोथ में बाधक साबित हो रहे हैं।
एसोचैम के सेकेट्ररी जनरल डी एस रावत ने कहा कि ट्रेड, ट्रांस्पोर्ट, होटल, बैंकिंग और वित्तीय सेवाएं देश की जीडीपी में बड़ा योगदान रखती हैं। इस देशव्यापी हड़ताल का इन सभी क्षेत्रों पर व्यापक प्रभाव पड़ा है। रावत के मुताबिक सरकार और ट्रेड यूनियन को बातचीत कर कोई बीच का रास्ता निकालना चाहिए। यही इस समस्या का सबसे बेहतर समाधान है। रावत ने कहा, ‘एसोचैम कामगारों की उचित मजदूरी और बेहतर जीवनशैली के विरोध में नहीं है। लेकिन, न्यूनतम मजदूरी की मांग संतुलित होनी चाहिए।’
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एसोचैम के मुताबिक बाहर जाने वाले शिपमेंट पर इस हड़ताल का बुरा असर बड़ा है। मैन्युफैक्चरिंग, बैकिंग और ट्रांस्पोर्ट जैसी सुविधाओं के प्रभावित होने से पूरी सप्लाई चैन पर बुरा असर पड़ा है। ट्रांस्पोर्ट प्रभावित होने से शिपमेंट और एक्सपोर्ट पर भी नकारात्मक असर पड़ा है।
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