कभी दुनिया की सबसे बड़ी चाय निर्माता रही और 152 साल पुरानी भारतीय कंपनी मैकलियोड रसेल पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। हालात यह हैं कि अब यह कंपनी बिकने की कगार पर पहुंच गई है। दरअसल, नेशनल कंपनी लॉ कंपनी ट्रिब्यूनल (NCLT) की दिल्ली बेंच ने मैकलियो रसेल के खिलाफ दिवालिया प्रक्रिया को मंजूरी दे दी है। मैकलियोड रसेल देश के जाने-माने कारोबारी घराने खेतान परिवार की कंपनी है।
चाय निर्माता कंपनी मैकलियोड रसेल पर टेक्नो इलेक्ट्रिक एंड इंजीनियरिंग कंपनी का 100 करोड़ रुपए से ज्यादा बकाया है। लेकिन कंपनी भुगतान में डिफॉल्ट कर रही है। इस कारण टेक्नो इंजीनियरिंग ने इंसोल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड 2016 के तहत मैकलियोड के खिलाफ दिवालिया प्रक्रिया चलाने के लिए एनसीएलटी के सामने आवेदन किया था। अब एनसीएलटी ने इस आवेदन को मंजूरी दे है। मैकलियोड ने स्टॉक एक्सचेंज को यह जानकारी दी है। इसके अलावा एनसीएलटी ने इस दिवालिया प्रक्रिया के लिए अंतरिम रेजोल्यूशन प्रोफेशनल की नियुक्ति भी कर दी है।
कंपनी पर 4 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का कर्ज: भारत की सबसे बड़ी चाय निर्माता कंपनी मैकलियोड रसेल पर बैंकों का 4 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का कर्ज है। इसमें ब्याज की राशि भी शामिल हैं। कंपनी ने इस कर्ज के मुक्ति पाने के लिए एक रेजोल्यूशन प्लान भी तैयार किया था। लेकिन इस पर कोई सहमति नहीं बन पाई है। इस कंपनी की स्थापना 1869 में हुई थी। इस समय करीब 73 हजार लोग इस कंपनी में काम करते हैं।
कंपनी के पास 48 टी-एस्टेट थे: मैकलियोड रसेल के पास कभी पूरी दुनिया में 48 टी-एस्टेट थे, इसमें से 31 टी-एस्टेट अकेले असम में थे। वहीं, दो टी-एस्टेट पश्चिम बंगाल में थे। कंपनी के अन्य टी-एस्टेट अफ्रीम और वियतनाम में स्थित थे। कंपनी हर साल करीब 73 मिलियन किलोग्राम चाय का उत्पादन करती है। इस समय कंपनी के पास 27,360 किलोमीटर में फैले टी-एस्टेट बैं।
कंपनी में खेतान परिवार की 10 फीसदी से कम हिस्सेदारी: मैकलियोड रसेल ब्रज मोहन खेतान के परिवार की कंपनी है। हालांकि, अब कंपनी में खेतान परिवार की 10 फीसदी से भी कम हिस्सेदारी बची है। इसका कारण यह है कि खेतान परिवार ने अपने हिस्से के शेयर कर्जदारों के पास गिरवी रखे थे, जो कर्ज उतारने के लिए उन्हें ही दे दिए गए हैं। एक साल पहले कंपनी में खेतान परिवार की 25.82 फीसदी हिस्सेदारी थी।
एक साल में 17 टी-एस्टेट बेचे: कर्ज चुकाने के लिए मैकलियोड रसेल ने 31 मार्च 2019 से 31 मार्च 2020 के दौरान अपने 17 टी-एस्टेट को बेच दिया है। इन टी-एस्टेट की बिक्री 764 करोड़ रुपए में की गई है। इस कारण मैकलियोड दुनिया की सबसे बड़ी चाय निर्माता कंपनी का खिताब भी गंवा चुकी है।