महत्वाकांक्षी वस्तु व सेवा कर (जीएसटी) को अगले साल एक अप्रैल से लागू करने के लक्ष्य के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निर्देश दिया कि इस दिशा में सभी काम तय समय से पहले पूरे कर लिए जाने चाहिए। मोदी ने जीएसटी कार्यान्वयन की तैयारियों की समीक्षा के लिए बुधवार (14 सितंबर) को बैठक की। बैठक का उद्देश्य यही था कि कार्यान्वयन की तारीख को एक अप्रैल 2017 से आगे बढ़ाने की नौबत नहीं आए।बैठक में मोदी ने कहा कि जीएसटी परिषद को अपनी सिफारिशें समय पर देने के लिए लगातार बैठकें करनी होंगी। परिषद को माडल जीएसटी कानून व जीएसटी दरों सहित विभिन्न महत्त्वपूर्ण मुद्दों पर सिफारिश देनी है। बैठक में वित्त मंत्री अरुण जेटली, प्रधानमंत्री कार्यालय व वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे।
इससे पहले मंत्रिमंडल ने वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) परिषद के गठन, कार्यपद्धति और प्रक्रिया शुरू करने को सोमवार (12 सितंबर) को मंजूरी दे दी थी। परिषद इस नई अप्रत्यक्ष कर प्रणाली के लिए कर की दर तथा अन्य मुद्दों पर फैसला करेगी। वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में इस परिषद का गठन 11 नवंबर तक किया जाएगा। परिषद में सभी 29 राज्यों और दो संघशासित प्रदेशों के प्रतिनिधि होंगे। परिषद नई अप्रत्यक्ष कर प्रणाली के लिए कर की दर, उसमें दी जाने वाली छूट, इसकी सीमा पर फैसला करेगी। इस नई कर प्रणाली के एक अप्रैल 2017 से अमल में आने की उम्मीद है। सरकार ने जीएसटी परिषद के गठन की प्रकिया शुरू करने के लिए 12 सितंबर की तिथि अधिसूचित की है और यह प्रक्रिया 60 दिन के भीतर पूरी की जानी है।
सूत्रों के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सोमवार (12 सितंबर) को यहां हुई मंत्रिमंडल की बैठक में जीएसटी परिषद गठन की प्रक्रिया और कामकाज को मंजूरी दी गई। मंत्रिमंडल ने जीएसटी सचिवालय के गठन और अधिकारियों पर भी फैसला किया है जो परिषद के फैसलों को लागू करेंगे। जीएसटी परिषद के अध्यक्ष केंद्रीय वित्त मंत्री होंगे और इसमें सदस्य के तौर पर वित्त राज्य मंत्री के अलावा राज्यों के वित्त मंत्री शामिल होंगे। केंद्र का इसमें एक तिहाई मत होगा जबकि राज्यों का इसमें दो-तिहाई दखल होगा। प्रस्ताव स्वीकृत होने के लिए तीन-चौथाई बहुमत जरूरी होगा। जीएसटी परिषद गठन की प्रक्रिया को मंजूरी उस दिन मिली है जिस दिन जीएसटी से संबंधित संविधान संशोधन कानून प्रभाव में आ गया।