केंद्र सरकार रेलवे की सहायक कंपनी आईआरसीटीसी में भी 15 से 20 फीसदी हिस्सेदारी बेचने का प्लान तैयार कर रही है। IRCTC में यह हिस्सेदारी ऑफर फॉर सेल के जरिए बेची जाएगी। हिस्सेदारी बेचने की यह प्रक्रिया तीन हिस्सों में पूरी किए जाने की योजना है। इससे पहले सरकार ने पिछले साल ही आईआरसीटीसी का आईपीओ लॉन्च किया था, जिसके बाद कंपनी में उसकी हिस्सेदारी 87.40 पर्सेंट ही रह गई थी। सरकार इस कंपनी में अपनी हिस्सेदारी 75 फीसदी से कम करने जा रही है ताकि सेबी के नियमों का अनुपालन किया जा सके। मोदी सरकार ने मौजूदा वित्त वर्ष में विनिवेश के जरिए 2.1 लाख करोड़ रुपये की पूंजी जुटाने का फैसला लिया है। IRCTC में हिस्सेदारी बेचने सरकार की उसी रणनीति का हिस्सा है।

सरकार ने 2.1 लाख करोड़ रुपये जुटाने के लिए पीएसयू कंपनियों के निजीकरण से 1.2 लाख करोड़ रुपये हासिल करने और एलआईसी एवं आईडीबीआई बैंक की हिस्सेदारी बेचकर 90,000 करोड़ रुपये हासिल करने का लक्ष्य तय किया है। पिछले महीने ही डिपार्टमेंट ऑफ इन्वेस्टमेंट ऐंड पब्लिक एसेट मैनेजमेंट ने मर्चेंट बैंकर्स से सेल प्रक्रिया को मैनेज के लिए बोलियां आमंत्रित की थीं, जिसकी आखिरी तारीख 10 सितंबर है। इससे पहले केंद्र सरकार को बीते साल सितंबर में आईआरसीटीसी के आईपीओ से 645 करोड़ रुपये मिले थे। यह रकम कंपनी की 12.6 फीसदी की हिस्सेदारी को बेचने से हासिल हुई थी। रेलवे की सहायक कंपनी IRCTC इंटरनेट टिकटिंग, कैटरिंग, पैकेज्ड ड्रिंकिंग वॉटर और अन्य सुविधाएं देने का काम संभालती है।

रेलवे की एक और कंपनी का आएगा IPO: यही नहीं सरकार रेलवे की एक और सहायक कंपनी इंडियन रेलवे फाइनेंस कॉर्पोरेशन लिमिटे़ड का भी आईपीओ लाने का प्लान बना रही है। बता दें कि सरकारी बीमा कंपनी एलआईसी में भी सरकार 25 फीसदी हिस्सेदारी आईपीओ के जरिए बेचने की तैयारी में है। इससे पहले मोदी सरकार ने कंपनी में 10 पर्सेंट की हिस्सेदारी बेचने का फैसला लिया था।

कई राउंड में बिकेगी LIC की हिस्सेदारी: अब भी सरकार पहले चरण में 10 फीसदी हिस्सेदारी ही बेचेगी। उसके बाद अन्य हिस्सेदारी को कई राउंड में बेचने की योजना है। सूत्रों का कहना है कि एलआईसी की हिस्सेदारी बेचने में रिटेल इन्वेस्टर्स को प्राथमिकता दी जा सकती है और इसके लिए उन्हें 10 पर्सेंट का डिस्काउंट दिया जा सकता है। यह डिस्काउंट एलआईसी में काम करने वाले कर्मचारियों को भी मिलेगा।