ग्रामीण स्तर पर बेरोजगारी की समस्या को दूर करने के लिए गरीब कल्याण रोजगार अभियान लॉन्च कर चुकी केंद्र सरकार अब शहरी क्षेत्रों के लिए ऐसी ही स्कीम को लॉन्च करने की तैयारी में है। यह स्कीम शहरी गरीबों, प्रवासी मजदूरों को केंद्र में रखकर तैयार की जाएगी। कोरोना वायरस के संकट से निपटने के लिए लागू हुए लॉकडाउन के चलते बड़े पैमाने पर रोजगार छिनने की चुनौती से निपटने के लिए सरकार इस स्कीम को लाने जा रही है। बिजनेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट के मुताबिक सरकार में आंतरिक तौर पर इस पर चर्चा चल रही है। रिपोर्ट के मुताबिक यह स्कीम ग्रामीण स्तर पर लॉन्च की गई गरीब कल्याण रोजगार अभियान की तर्ज पर हो सकती है या फिर मनरेगा के शहरी वर्जन के तौर पर इसकी लॉन्चिंग की जा सकती है।

पूर्व गवर्नर रघुराम राजन और नोबेल विजेता अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी ने भी सरकार से शहरी गरीबों के रोजगार पर फोकस करने की अपील की थी। रघुराम राजन ने कहा था कि सरकार ने गरीबों को राशन देने की स्कीम लॉन्च की है, लेकिन शहरों में गरीबों को कुछ आर्थिक मदद भी देने पर विचार करना चाहिए। उनका कहना था कि सिर्फ राशन से समस्या हल नहीं होती है क्योंकि मजदूरों को घर के किराये, बिजली के बिल, खाना बनाने के लिए गैस सिलेंडर से लेकर अन्य तमाम खर्चों के लिए कैश की भी जरूरत है।

गौरतलब है कि सरकार ने 50,000 करोड़ रुपये की लागत से देश के 6 राज्यों के 116 जिलों में गरीब कल्याण रोजगार अभियान शुरू किया है। इस स्कीम के तहत मजदूरों से 25 तरह के अलग-अलग काम कराए जाएंगे। 50 हजार करोड़ के फंड से एक तरफ प्रवासी श्रमिकों को रोजगार देने के लिए विभिन्न प्रकार के 25 कार्यों को तेजी से कराया जाएगा तो दूसरी तरफ देश के ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे का निर्माण किया जाएगा। इस अभियान में केंद्र सरकार के 12 मंत्रालय हिस्सा ले रहे हैं, जिनमें ग्रामीण विकास, पंचायती राज, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग, पेयजल और स्वच्छता, पर्यावरण, रेलवे, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय शामिल हैं।