नोएडा और ग्रेटर नोएडा की सभी बहुमंजिला इमारतों का प्राधिकरण सुरक्षा आॅडिट कराएगा। भूकम्प के लिहाज से जो इमारतें खतरनाक होंगी, उनका भूकम्प रोधी तकनीक का इस्तेमाल कर जीर्णोद्धार कराया जाएगा। इस पर होने वाले खर्च को संपत्ति के मालिक को वहन करना होगा।
प्राधिकरण चेयरमैन रमा रमण ने बताया कि दोनों शहरों की इमारतों के सुरक्षा आॅडिट के लिए एक विशेषज्ञ समिति बनाने का फैसला किया गया है। समिति में आर्किटेक्ट, दमकल, भवन, वास्तुविद और भूगर्भ विशेषज्ञ शामिल होंगे। यह समिति नई और पुरानी, दोनों तरह की बहुमंजिला इमारतों की जांच कर सुरक्षा प्रमाणपत्र जारी करेंगी।
नोएडा, ग्रेटर नोएडा भूकम्प के लिहाज से सेस्मिक जोन-4 के दायरे में आते हैं। अलबत्ता समिति सेस्मिक जोन-5 के मानक को आधार मानकर भूकम्प रोधी क्षमता की जांच करेगी। सबसे पहले पुरानी बहुमंजिला इमारतों की जांच से काम शुरू होगा।
प्राधिकरण अफसरों के मुताबिक, आपदा प्रबंधन सेल को प्रभावी बनाने के लिए बहुमंजिला इमारतों का सुरक्षा आॅडिट कराने का फैसला किया गया है, ताकि आपदा होने पर तुरंत एक्शन के जरिए नुकसान को कम किया जा सके। भूकम्प रोधी इमारतों के सत्यापन के लिए प्राधिकरण आर्किटेक्टों के एक पैनल का भी गठन करने की तैयारी कर रहा है।
नक्शे से लेकर इमारत बनने तक आर्किटेक्ट को उस पर निगरानी रखनी होगी। इसका मुख्य उद्देश्य भवन प्लान या नक्शे में छेड़खानी करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करना है। विशेष तौर पर नोएडा के गांवों में बेतरतीब ढंग से बनी बहुमंजिला इमारतें भी सुरक्षा आॅडिट के दायरे में आएंगी। इसे लेकर अभी से ग्रामीणों ने विरोध दर्ज करना शुरू कर दिया है।
प्राधिकरण ने आपदा के दौरान नुकसान को कम करने के लिए प्राधिकरण ने सेवानिवृत्त सैन्य कर्मियों का आपदा प्रबंधन में सहयोग मांगा है। इसके तहत 300 से ज्यादा सदस्यों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। जबकि जिले भर में 800 अन्य लोगों को प्रशिक्षण दिया जाना है।