अफ्रशिया बैंक की रिपोर्ट के अनुसार 2019 में एशिया के दो देशों भारत और चीन के 23 हजार करोड़पति दूसरे देशों की ओर पलायन कर गए। अफ्रशिया की स्टडी में 10 लाख डॉलर से 99 लाख डॉलर रखने वाले बिजनेसमैन को शामिल किया गया है। जो दूसरे देशों में गए और कम से कम 6 महीने बिताए। भारत और चीन करोड़पति जो बाहर गए हैं वो कुल का महज 2 फीसदी है। जबकि रूस और तुर्कि से जाने वाले हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल्स की संख्या क्रमश: 6 और 8 फीसदी है।
भारत और चीन के अलावा किन देशों कितने करोड़पति भागे: आंकड़ों की बात करें तो चीन से सबसे ज्यादा 16000, भारत से 7000, रूस से 5500, हांगकांग से 4200, तुर्की से 2100, यूके से 2000, फ्रांस से 1800, ब्राजील से 1400, सऊदी अरब से 1200 और इंडोनेशिया से 1000 करोड़पति दूसरे देशों में गए।
इन कारणों से अपने देश से गए करोड़पति : अफ्रशिया की रिपोर्ट के अनुसार टैक्स और फाइनेंशियल टेंशन की वजह से हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल्स अपने देशों से दूसरे देशों की ओर रुख किया। रिपोर्ट में दूसरे कारणों का भी अनुमान लगाया गया है। करोड़पतियों ने पर्सनल रीजन की वजह से भी देश छोड़ने का फैसला लिया हो सकता है। वहीं दूसरी ओर बैटर हेल्थकेयर सिस्टम, एजुकेशन, सेफ्टी, स्टैंडर्ड ऑफ लिविंग और दमनकारी शासन से बचने की वजह से दूसरे देशों जाने का फैसला लिया हो सकता है।
किन देशों की ओर किया रुख : इन करोड़पतियों का सबसे ज्यादा स्वागत ऑस्ट्रेलिया ने किया है। जिसने 12 हजार करोड़पतियों को अपने देश में शरण दी है। जबकि अमरीका और स्विट्जरलैंड जाने वाले करोड़पतियों की संख्या 10,800 और 4000 रही। वहीं दूसरी ओर पुर्तगाल और ग्रीस जैसे देशों ने हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल्स को अपने यहां शरण दी। दोनों ही देश धूप वाले मौसम के अलावा दोनों देश निवेशक कार्यक्रम चलाते हैं जो यूरोपीयन यूनियन रेसिडेंसी और नागरिकता तक एक्सेस प्रदान करते हैं।
किस वीजा पर गए दूसरे करोड़पति : अब सवाल यह है कि आखिर ये हाई नेटवर्थ वाले लोग किस वीजा दूसरे देशों में गए। रिपोर्ट के अनुसार 30 फीसदी हाई नेटवर्थ वाले लोगों ने इंवेस्टर वीजा का प्रयोग किया। वहीं अधिकतर करोड़पतियों ने वर्क वीजा का इस्तेमाल किया। फैमिली वीजा या पूर्वजों के माध्यम से दूसरा पासपोर्ट प्राप्त करने जैसे दूसरे तरीकों को भी अपनाया।