मौसम की भविष्यवाणी करने वाली निजी एजेंसी स्काईमेट ने निराशा के बीच उम्मीद की एक किरण जगायी है और अनुमान लगाया है कि इस वर्ष मॉनसून सामान्य रहेगा। हालांकि, भारतीय मौसम विभाग इस साल मॉनसून कमजोर रहने की अनुमान जता चुका है।

स्काईमेट ने अल-नीनो प्रभाव को ज्यादा महत्व न देते हुए कहा कि इससे बारिश पर असर पड़ने की गुंजाइश काफी कम है। अल-नीनो से असामान्य वॉर्मिंग की स्थिति पैदा होती है। इससे दुनिया के विभिन्न हिस्सों में बाढ़ और सूखे की स्थिति बनती है।

स्काईमेट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जतिन सिंह ने कंपनी की वेबसाइट पर लिखे ब्लॉग में कहा है, ‘‘यह सही है कि अल नीनो को भारतीय उपमहाद्वीप में कमजोर मॉनसून से जोड़ा जाता है। अल-नीनो वाले 60 प्रतिशत वर्ष सूखे वाले होते हैं। 2000 से सूखे वाले सभी वर्ष 2002, 2004, 2009 और 2014 अल-नीनो वाले साल रहे। लेकिन अपवाद भी हैं।’’

सिंह ने कहा कि 1953 से 1963 के दौरान चार अल-नीनो प्रभाव वाले वर्ष रहे और इन सभी वर्षों के दौरान सामान्य या सामान्य से अधिक बारिश देखी गई। उन्होंने कहा कि इसके अलावा यह अल-नीनो पिछले साल के ही अल-नीनो से आगे जारी रहेगा, तो दूसरे साल मॉनसून विफल नहीं होता। यह पहले साल की कमजोर रहता है। 2014 अल-नीनो का साल रहा और इसमें सिर्फ 88 फीसद बारिश (एलपीए) हुई। 2015 का अल-नीनो पिछले साल से ही आगे जारी है। ऐसे में मॉनसून के विफल होने की संभावना काफी कम है।

इस साल फरवरी में स्काईमेट ने अनुमान लगाया था कि इस साल देश में मॉनसून सामान्य रहेगा और बारिश दीर्घावधि के औसत (एलपीए) का 100 से 104 प्रतिशत रहेगी। उन्होंने कहा कि इसके अलावा मौसम की दृष्टि से एक के एक सूखे की संभावना विरले ही होती है। पिछले 140 साल यह स्थिति सिर्फ चार बार 1004-05, 1965-66, 1985-86-87 ही बनी है।