modi government withdraws new draft of broadcast Bill: मिनिस्ट्री ऑफ इन्फोर्मेशन एंड ब्रॉडकास्टिंग ने ब्रॉडकास्टिंग सर्विसेज (रेगुलेशन) बिल, 2024 के नए ड्राफ्ट को वापस लेने का फैसला किया है। बता दें कि सरकार द्वारा ऑनलाइन कॉन्टेन्ट को नियंत्रित करने की कोशिश के डर में इस ड्राफ्ट को लेकर काफी विवाद हुआ था और इस मसौदे को काफी आलोचना का सामना करना पड़ा था। सरकार का कहना है कि ड्राफ्ट बिल को लेकर फ्रीडम ऑफ स्पीच व एक्सप्रेशन (freedom of speech and expression) और इसे रेगुलेट करने की सरकार की ताकत से जुड़े कई सवाल उठे थे।
गौर करने वाली बात है कि सरकार ने पिछले महीने यानी जुलाई में कुछ साझेदारों (स्टेकहोल्डर्स) के साथ नए ड्राफ्ट की हार्ड कॉपी शेयर कर उनकी टिप्पणी मांगी थी। लेकिन अब इस मसौदे को वापस लेने के बाद सरकार ने इस हार्ड कॉपी को वापस करने को कहा है।
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स्टेकहोल्डर्स से वापस मंगाई ड्राफ्ट की कॉपी
इंडियन एक्सप्रेस के साथ बातचीत में तीन सूत्रों (वरिष्ठ सरकारी अधिकारी और दो इंडस्ट्री एग्जिक्युटिव्स) ने यह पुष्टि कर दी कि अब मंत्रालय ने स्टेकहोल्डर्स से ड्राफ्ट बिल की कॉपी वापस करने को कहा है। इन स्टेकहोल्डर्स को मंत्रालय से ड्राफ्ट बिल की कॉपी वापस करने के लिए कॉल किया गया। सूत्रों के मुताबिक, अब मंत्रालय एक बार फिर चर्चा के बाद नए सिरे से नए प्रस्ताव पर काम करेगा।
इस बारे में फिलहाल मंत्रालय को भेजे गए सवालों पर कोई जवाब नहीं मिला है। लेकिन X (Twitter) पर पोस्ट किए गए एक बयान में मंत्रालय ने पिछले साल (नवंबर 2023) में ड्राफ्ट बिल को पब्लिक डोमेन में लाया गया था और स्टेकहोल्डर्स के साथ इस पर विचार-विमर्श किया जा रहा है। और 15 अक्तूबर तक उनके पास इस पर अपने कमेंट देने के लिए अतिरिक्त वक्त दिया जा रहा है। विस्तार से चर्चा के बाद एक नया मसौदा तैयार करके लाया जाएगा। हालांकि, मंत्रालय ने स्टेकहोल्डर्स को दिए गए ड्राफ्ट को वापस मंगाने से जुड़ा कोई जिक्र नहीं किया।
निश्चित तौर पर मंत्रालय के इस बयान से स्टेकहोल्डर्स में असमंजस की स्थिति हो गई है, खासतौर पर उनमें जिनके साथ सरकार ने 2024 के ड्राफ्ट बिल की कॉपी शेयर नहीं की थी।
नए बिल को लेकर भारी विरोध और आलोचना
बता दें कि नया ब्रॉडकास्ट बिल, 1995 Cable Television Networks (Regulation) Act की जगह लेगा। फिलहाल यह एक्ट टेलिविज़न और ब्रॉडकास्टिंग के लिए है। नवंबर 2023 में मंत्रालय ने एक ड्राफ्ट बिल पर टिप्पणियां और विचार मांगे थे और इसके दायरे में ब्रॉडकास्टिंग के अलावा OTT व डिजिटल न्यूज व करंट अफेयर को लाने की बात भी कही गई थी।
जुलाई 2024 में आए नए ड्राफ्ट बिल में OTT कॉन्टेन्ट और डिजिटल न्यूज ब्रॉडकास्टर (जिनमें सोशल मीडिया अकाउंट व ऑनलाइन वीडियो क्रिएटर) को शामिल किए जाने के बाद काफी भारी विरोध और आलोचना झेलनी पड़ी। इसके तहत यूट्यूब व इंस्टाग्राम के साथ एक्स के वे खाते भी शामिल होंगे, जो अपने कॉन्टेन्ट के पैसे कमाते हैं।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में बताया गया है कि मंत्रालय के अधिकारियों के बीच ही इस बात पर मतभेद था कि इस बिल को नॉन-न्यूज ऑनलाइन कॉन्टेन्ट क्रिएटर्स पर लागू किया जाना चाहिए या नहीं। ड्राफ्ट बिल के मुताबिक, इस तरह के क्रिएटर्स को OTT ब्रॉडकास्टर कैटेगिरी में लाया जाना था। यही एक बड़ी वजह है कि सरकार अब इस बिल पर एक बार दोबारा काम करना चाहती है। सरकार का मकसद सभी ब्रॉडकास्टर्स को एक ही रेगुलेटरी फ्रेमवर्क में लाना है। ऐसा होने से सरकार ब्रॉडकास्टिंग वर्किंग को स्ट्रीमलाइन कर पाएगी।
लेटेस्ट ड्राफ्ट में digital news broadcasters की लिस्ट में न्यूज और कंरट अफेयर कॉन्टेन्ट क्रिएटर्स को भी शामिल किया गया था। जिसका मतलब है कि कोई भी व्यक्ति जो ऑनलाइन पेपर, न्यूज पोर्टल, वेबसाइट, सोशल मीडिया इंटरमीडियरी या किसी और मीडियम के जरिए न्यूज और करंट अफेयर प्रोग्राम ब्रॉडकास्ट करता है, वह इस बिल के दायरे में आएगा। यहां तक कि YouTube, Instagram और X पर पेड़ सब्स्क्रिप्शन और एफिलिएट एक्टिविटीज से एडवरटाइजिंग रेवेन्यू जेनरेट करने वाले यूजर्स भी इसमें शामिल होंगे।
तिथि और समय के साथ चलाएं प्राकृतिक आपदाओं के वीडियो
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने सभी निजी सेटेलाइट टीवी चैनलों को प्राकृतिक आपदाओं के वीडियो को तिथि और समय के साथ चलाने के निर्देश दिए हैं। मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि हाल ही में देश में आई आपदाओं की वीडियो को टीवी चैनल लगातार चलाते रहते हैं। इस दौरान वे लगातार पूरी वीडियो को चलाते रहते हैं। इससे दर्शकों के मन में भ्रम की स्थिति बनती है। दर्शकों को इस स्थिति से बचाने के लिए टीवी चैनलों को कहा गया है कि वे वीडियो को तिथि और समय के साथ चलाएं।
इस बिल के जरिए फेक न्यूज को फैलने से रोकना, एज वेरिफिकेशन मैकेनिज्म और कॉन्टेन्ट कंट्रोल करने की योजना है। सरकार के मुताबिक, नए ब्रॉडकास्टिंग रेगुलेशन बिल लागू होने के बाद कोई भी OTT या डिजिटल प्लेटफॉर्म पर हेट स्पीच, फेक न्यूज फैलाता है तो वह प्लेटफॉर्म जवाबदेह ठहराया जा सकेगा।