Modi government, Gobardhan Yojana: संसद की एक समिति ने केंद्र सरकार को ‘गोबर-धन’ योजना के तहत किसानों से जैविक खाद खरीदने के लिए इसमें डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) की व्यवस्था जोड़ने का सुझाव दिया है।

क्या है योजना: गोबर-धन योजना को जल शक्ति मंत्रालय द्वारा शुरू की गई थी। इस योजना के तहत मवेशियों के गोबर और बायोमास को बायोगैस और जैव-उर्वरक में परिवर्तित करके धन और ऊर्जा उत्पन्न करने की परिकल्पना की गई है। इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण आबादी के लिए आजीविका के अवसर पैदा करना और किसानों की आय में वृद्धि करते हुए ठोस और तरल बायोमास से ऊर्जा पैदा करना है।

समिति ने क्या कहा: समिति ने कहा कि राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के साथ मंत्रालय इस योजना के कार्यान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि समिति को लगता है कि यह योजना कई स्तरों पर ग्रामीण क्षेत्रों से संबंधित मुद्दों को हल करती है और किसानों के जैविक खाद की खरीद के लिए डीबीटी ट्रांसफर को जोड़े जाने से उन्हें और भी अधिक फायदा होगा।

आपको बता दें कि साल 2018 के आम बजट में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने ग्रामीणों के जीवन को बेहतर बनाने की कोशिश के तहत इस योजना का जिक्र किया था। इसके बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में विस्तार से जानकारी दी थी।

संसद समिति ने की सरकार की खिंचाई: इसके साथ ही संसद की समिति ने मत्स्य पालन और जलीय कृषि के लिए एक बुनियादी ढांचा विकास निधि के कार्यान्वयन में धीमी प्रगति के लिए सरकार की खिंचाई की है। इस कोष की स्थापना के तीन साल बाद भी केवल 2,171.32 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं। कृषि मंत्रालय की संसदीय स्थायी समिति की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि यह योजना मनोवांछित तरीके से आगे नहीं बढ़ी है।’’

रिपोर्ट में कहा गया है कि समिति ने मंत्रालय से यह भी कहा कि वह इस योजना के बारे में व्यापक प्रचार अभियान चलाये ताकि लाभार्थियों (दोनों व्यक्तियों और राज्य सरकारों) को पूरा लाभ मिल सके। बता दें कि वित्तवर्ष 2018-19 में, सरकार ने देश में मत्स्यपालन बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए 7,522.48 करोड़ रुपये के कोष के साथ मत्स्य पालन और एक्वाकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड (एफआईडीएफ) बनाया था।