जिस घर में सालाना कमाई दस लाख रुपए से ज्यादा है, उसमें एलपीजी गैस पर दी जा रही सब्सिडी खत्म करने की पहल तेज हो गई है। ग्राहकों को एसएमएस भेज कर इस बारे में डेक्लेरेशन देने के लिए कहा जाने लगा है। यह डेक्लेरेशन या तो डिस्ट्रिब्यूटर के यहां जाकर या फिर http://www.mylpg.in पर ऑनलाइन देने के लिए कहा जा रहा है। पति-पत्नी में से किसी एक की आमदनी दस लाख रुपए सालाना से ज्यादा हुई तो सब्सिडी नहीं दी जाएगी।

पहले व्यवस्था की गई कि गैस सिलेंडर बुक कराते वक्त ग्राहकों से पूछा जाए कि क्या उनके परिवार की सालाना आमदनी दस लाख रुपए से ऊपर है? अगर वे जवाब हां में देते हैं तो उन्हें चाहते हुए भी सब्सिडी नहीं दी जाएगी। लेकिन, इस व्यवस्था से ज्यादा फायदा नहीं हुआ। तब एसएमएस के जरिए भी ग्राहकों को डेक्लेरेशन देने के लिए कहा जाने लगा। अभी सरकार के पास यह डेटा नहीं है कि 15 करोड़ ग्राहकों में से कितने की आमदनी दस लााख रुपए से ज्यादा है। इसीलिए अभी यह व्यवस्था लागू की गई है।

सरकार ने फैसला किया था कि नए साल में जिस परिवार की सालाना आमदनी दस लाख रुपए से ज्यादा है, उन्हें एलपीजी (खाना पकाने वाली गैस) पर सब्सिडी नहीं दी जाएगी। अभी हर परिवार को साल में 14.2 किलो एलपीजी वाले 12 सिलेंडर रियायती दर पर दिए जाते हैं। रियायती दर पर एक सिलेंडर 419.26 रुपए में दिया जाता है, जबकि इसका बाजार भाव 608 रुपए है।

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एलपीजी ग्राहकों को यह एसएमएस भेजा जा रहा है।

सरकार सक्षम लोगों से गैस पर सब्सिडी नहीं लेने की अपील करती रही है और इसके लिए अभियान भी चलाया गया है। लेकिन यह अभियान ज्यादा सफल नहीं रहा। कुल 15 करोड़ एलपीजी ग्राहकों में से 57.5 लाख ने सब्सिडी छोड़ी है। साल 2014-15 में एलपीजी पर सरकार ने 40,551 करोड़ रुपए की सब्सिडी दी। इस साल यह रकम करीब आधी बैठेगी, क्योंकि तेल की कीमतें छह साल में सबसे निचले स्‍तर पर पहुंच गई हैं। अप्रैल से सितंबर के बीच 8,814 करोड़ रुपए की एलपीजी सब्सिडी दी जा चुकी है।

रसोई गैस सबसिडी के दायरे से कुछ लोगों को बाहर करने की पहल सबसे पहले 1997 में संयुक्त मोर्चा सरकार के समय हुई थी। फिर, 2002 में वाजपेयी सरकार के समय, जब रामनाईक पेट्रोलियम मंत्री थे। इसके बाद यूपीए के दूसरे कार्यकाल में, जब मंत्रालय की कमान जयपाल रेड्डी के पास थी। लेकिन हर बार राजनीतिक विरोध के चलते तत्कालीन सरकार ने कदम पीछे खींच लिये थे।