सरकार ने भले ही रबी की फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य में इजाफे का ऐलान कर दिया है, लेकिन यह बीते 6 सालों के मुकाबले सबसे कम बढ़ोतरी है। आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमिटी ने रबी फसलों पर 2021-22 के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में 4.3 पर्सेंट की बढ़ोतरी को मंजूरी दे दी है। पिछले साल रबी फसलों के एमएसपी में औसतन 5.7 फीसदी की वृद्धि हुई थी। एमएसपी में यह बढ़ोतरी स्वामीनाथन कमीशन की सिफारिशों और केंद्रीय बजट 2018-19 में फसल की औसतन उत्पादन मूल्य से 1.5 गुना देने की घोषणा के अनुसार हुई है।

इस बार रबी फसलों में सबसे ज्यादा मसूर के एमएसपी में बढ़ोतरी हुई है। इसबार मसूर पर 300 रूपए प्रति क्विंटल की वृद्धि हुई है, जबकि चना और सरसों के एमएसपी पर 225 रूपए प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी हुई है। गेहूं के एमएसपी पर 50 रूपए की मामूली बढ़ोतरी हुई है। गेहूं के एमएसपी पर पिछले साल के मुकाबले 2.6 फीसदी की वृद्धि हुई है। 2013-14 से गेहूं के एमएसपी पर हर सीजन लगभग 5 फ़ीसदी के हिसाब से बढ़ोतरी हो रही थी परंतु इस बार सिर्फ 2.6 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई है।

वित्त वर्ष 2013-14 से वित्त वर्ष 2020-21 के बीच जौं और सरसों के एमएसपी पर लगभग 6 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई थी। रिपोर्ट के मुताबिक इस दौरान चने के एमएसपी पर प्रति सीजन बढ़ोतरी 7.5 फीसदी थी। जबकि पिछले 8 साल में मसूर और कुसुम के एमएसपी पर लगभग 8 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई। जबकि इसबार चने पर सिर्फ 4.6 फीसदी की वृद्धि हुई है। इन छह रबी फसलों की लागत पर औसतन रिटर्न 78 फ़ीसदी है जो स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों से ज्यादा है।

किसानों को गेहूं में औसतन लागत के ऊपर 106 फीसदी मुनाफा मिलने की उम्मीद है, जबकि सरसों में लागत के ऊपर 93 फीसदी मुनाफा मिलेगा। वहीं चना और मसूर में एमएसपी वृद्धि के बाद लागत के ऊपर 78 फ़ीसदी मुनाफा ‌मिलेगा। जौ में औसतन लागत के ऊपर 65 फीसदी तो कुसुम में 50 फीसदी रिटर्न की उम्मीद है।