केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री चौधरी बीरेन्द्र सिंह ने जैसे ही ‘‘भूमि अर्जन, पुनर्वासन और पुनर्व्यवस्थापन में उचित प्रतिकार और पारदर्शिता का अधिकार संशोधन विधेयक 2015’’ को पेश करने की अनुमति मांगी पूरा विपक्ष अपने स्थानों पर खड़े होकर इसका विरोध करने लगा। कांग्रेस, सपा, तृणमूल कांग्रेस, राजद, आम आदमी पार्टी सहित कई विपक्षी दलों के सदस्य अध्यक्ष के आसन के निकट आ गये और विधेयक को पेश किये जाने का विरोध करने लगे।

संसदीय कार्य मंत्री एम वेंकैया नायडू ने विपक्षी सदस्यों को राजी कराने का प्रयास करते हुए कहा कि भाजपा सरकार पूरी तरह से किसानों के हित में है और वह इस विधेयक के प्रावधानों पर चर्चा के लिए तैयार है। लेकिन विपक्षी सदस्यों पर इसका असर नहीं हुआ।

कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने राष्ट्रपति द्वारा पिछले दिनों जारी किये गये अध्यादेश का स्थान लेने के लिए लाये गये इस विधेयक को किसान विरोधी और गरीब विरोधी बताया। उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने सभी दलों से सलाह मशविरा करके विधेयक लाती तो वह बात और होेती लेकिन यह ‘‘बुलडोजर’’ करके लाया गया है।

तृणमूल कांग्रेस के स्वागत राय ने इसे किसान विरोधी करार देते हुए कहा कि इससे किसान खस्ताहाल हो जायेंगे। उन्होंने विधेयक को पेश किये जाने का पुरजोर विरोध करते हुए कहा कि पूरे देश में इसका विरोध चल रहा है।

बीजू जनता दल के भ्रर्तुहरि महताब ने कहा कि कहा कि इससे देश का बड़ा तबका प्रभावित होगा। राजग सरकार को समर्थन दे रहे स्वाभिमानी शतकरी संगठन के राजू शेट्टी ने भी इसका विरोध किया।

हंगामे के बीच लोकसभा अध्यक्ष ने ध्वनिमत से विधेयक पेश किये जाने की अनुमति दी और मंत्री ने विधेयक पेश किया। इसके विरोध में विपक्षी दलों ने सदन से वॉकआउट किया।

संसदीय कार्य मंत्री ने विपक्षी दलों पर लोकतंत्र का अपमान करने का आरोप लगाया और कहा कि अल्पमत बहुमत को डिकटेट नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि 32 राज्य सरकारों एवं केंद्र शासित क्षेत्रों ने केंद्र को ज्ञापन देकर कानून में संशोधन की मांग की थी और कहा था कि इस कानून के चलते विकास कार्य असंभव हो रहा है।

उन्होंने कहा कि उनकी सरकार किसानों के कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है। उन्होंने कहा, ‘‘हम सभी बिन्दुओं पर चर्चा के लिए तैयार हैं।’’

यह विधेयक इस संबंध में पिछले दिनों राष्ट्रपति द्वारा जारी किये गये अध्यादेश का स्थान लेने के लिए लाया गया है। मंत्री ने इस संबंध में अध्यादेश प्रख्यापित कर तत्काल विधान बनाये जाने के कारणों को दर्शाने वाला एक व्याख्यात्मक विवरण भी पेश किया।