केंद्र सरकार को दो पैनलों ने 31 मई के बाद लॉकडाउन न बढ़ाने की सलाह दी है। पैनल्स ने कहा कि यह समय अब अर्थव्यस्था को गति देने का है। कोरोना संकट में मेडिकल इमर्जेंसी, अस्पतालों की उपलब्धता, आइसोलेशन जैसी व्यवस्थाओं को संभालने के लिए बने पैनल्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि लॉकडाउन को बढ़ाने की जरूरत नहीं है।
लॉकडाउन 4.0 से बाहर निकलने की रणनीति को लेकर सौंपी गई रिपोर्ट में पैनल्स ने कहा कि कंटेनमेंट जोन्स में सख्ती बनी रहनी चाहिए। ऐसे इलाकों में कुछ और नियम भी लागू किए जा सकते हैं, लेकिन जहां कोरोना के संक्रमण के मामले कम हैं, उन्हें खोला जाना चाहिए। पैनलों ने स्कूल, कॉलेज, सिनेमा घरों और धार्मिक स्थलों को आगे भी बंद ही रखने की सलाह दी है। इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक इंटरनेशनल फ्लाइट्स शुरू करने का भी प्रस्ताव नहीं दिया गया है।
सरकार के शीर्ष अधिकारियों के मुताबिक कोरोना के बढ़ते मामले चिंता का कारण हैं, लेकिन इस महामारी के अर्थव्यवस्था पर असर की भी समीक्षा की जा रही है। मार्च के महीने में होम मिनिस्ट्री ने 11 समूहों का गठन किया था, जिन्हें कोरोना से जुड़े उपायों को सुझाने और लागू करने की जिम्मेदारी दी गई थी। इनमें से एक ग्रुप मेडिकल इमर्जेंसी के लिए बनाया गया है, जिसकी अध्यक्षता नीति आयोग के सदस्य विनोद पॉल कर रहे हैं। इसके अलावा पर्यवारण सचिव सीके मिश्रा को अस्पतालों की उपलब्धता, आइसोलेशन, क्वारेंटीन फैसिलिटीज के लिए बने पैनल की अध्यक्षता दी गई है।
इन 11 समूहों में से एक ग्रुप के सदस्य ने कहा, ‘अब देशव्यापी लॉकडाउन लागू किए जाने की जरूरत नहीं है। हालांकि ऐसे इलाकों में जहां तेजी से नंबर बढ़ रहे हैं, वहां कंटेनमेंट जोन बनाए रखते हुए सख्ती बरतनी चाहिए।’ ऐसे ही एक ग्रुप के एक सदस्य ने कहा, ‘पश्चिमी देशों ने लॉकडाउन लागू करने में देरी की थी और उसके चलते उन्हें बड़ा नुकसान उठाना पड़ा था। उन्हें ज्यादा जाने भी गंवानी पड़ीं और आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ा। हमने एक देश के तौर मृत्यु दर को कम रखने में सफलता हासिल की है। हालांकि अब यह समय है कि हमें अर्थव्यवस्था को गति और मजबूती के साथ आगे बढ़ाना चाहिए।’