देश के तकरीबन 10 राज्यों में कैश की भारी किल्लत की समस्या सामने आई है। इसके चलते एटीएम में नकदी की पर्याप्त आपूर्ति नहीं हो पा रही है। ऐसे में आमलोगों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। अब इस समस्या से निपटने के लिए नोटों की छपाई में तेजी लाने का फैसला किया गया है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, मध्य प्रदेश के देवास में नोटों की छपाई में तेजी लाई जाएगी। वहां अब तीन शिफ्टों में काम किए जाएंगे ताकि नकदी की आपूर्ति को सुचारू किया जा सके। दूसरी तरफ, वित्त मंत्री अरुण जेटली ने नकदी संकट की बात को सिरे से खारिज किया है। उन्होंने कहा कि बैंकों और बाजार में पर्याप्त मात्रा में कैश हैं, लेकिन नकदी की मांग अचानक बढ़ने के कारण दिक्कत सामने आई है। केंद्रीय मंत्री ने 500 के नोटों की ज्यादा छपाई करने की भी बात कही है। RBI ने कहा कि आने वाले तीन दिनों में कैश की किल्लत को दूर कर दिया जाएगा। आइए हम आपको बताते हैं कि बैंक नोट छापेखाने से बैंक एटीएम तक कैसे पहुंचते हैं।
शुरुआत- हर वित्त वर्ष की शुरुआत में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) नोटों की मांग, जीडीपी की विकास दर, इलेक्ट्रानिक भुगतान इत्यादि के आधार पर नए नोटों की जरूरत का अनुमान लगाता है। आरबीआई इस प्रस्ताव पर केंद्र सरकार से चर्चा के बाद नोट के मुद्रण का आदेश देता है।
नोट का कागज तैयार करना- मैसूर और होशंगाबाद स्थित करेंसी पेपर मिल में अति-सुरक्षित बैंक नोट के कागज की डिजाइनिंग और छपाई होती है। ये दोनों छापेखाने साल में 18 हजार मेट्रिक टन नोट पेपर तैयार कर सकते हैं। जरूरत पड़ने पर आरबीआई नोटों के कागज का आयात भी करता है।
नोटों के सुरक्षा फ़ीचर- हर नोट में मल्टी टोनल, थ्री-डी वाटरमार्क, माइक्रो लेटरिंग, सुरक्षा धागे जैसे कई तरह के सुरक्षा फ़ीचर होते हैं। नोट में सभी सुरक्षा फ़ीचर मैसूर और होशंगाबाद में ही लगाए जाते हैं। आरबीआई की एक रिसर्च एंड डेवलपमेंट (आरएंडडी) टीम नोटों के सुरक्षा फीचर को बेहतर बनाने के लिए लगातार शोध करती रहती है।
छपाई- जब नोट के कागज के सुरक्षा फ़ीचर तैयार हो जाते हैं तो उन्हें मैसूर, शालबनी, देवास और नासिक स्थित छापेखानों में भेजा जाता है जहां उनमें अतिरिक्त सुरक्षा फ़ीचर लगाए जाते हैं।
कटाई- नोटों की छपाई शीट के रूप में की जाती है। नोटों के बड़े शीट में टेलीस्कोपिक तरीके से नंबर दर्ज किए जाते हैं और उन्हें वांछित आकार में काटा जाता है। नोटों के एक पैकेट में 100 नोट होते हैं और एक बंडल में 10 पैकेट होते हैं। अगर बात नए जारी किए गए 2000 रुपये के नोट की करें तो एक शीट से 40 नोट तैयार होते हैं।
बैंक तक का सफर- छपने के बाद नोटों को आरबीआई के करेंसी चेस्ट में पहुंचाया जाता है। करेंसी चेस्ट से ये नोट विभिन्न बैंकों तक पहुंचते हैं। इन नोटों को गंतव्य तक सुरक्षित पहुंचाने की जिम्मेदारी राज्य सरकार/पुलिस की होती है।
एटीएम में नोट भराई- देश की कुल सात पंजीकृत कैश लॉजिस्टिक कंपनियों की 8800 कैश वैनों के माध्यम से बैंक नोट विभिन्न एटीएम तक पहुंचाए जाते हैं। हर एटीएम में चार कैसेट होते हैं जिनमें अलग-अलग मूल्य के नोट भरे जाते हैं। नोटबंदी के बाद देश के सभी एटीएम को नए नोटों के हिसाब से रीकैलीब्रेट किया जा रहा है।
नोटों की उड़ान- पूर्वोत्तर और कश्मीर जैसे देश के कई अंदरूनी इलाकों में नोटों को हेलिकॉप्टर या एयरक्राफ्ट से पहुंचाया जाता है। ऐसे सुदूरवर्ती इलाकों में आम तौर पर एटीएम में छह दिन में एक बार पैसे भरे जाते हैं।