वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश करते हुए शनिवार को जब यह कहा कि सरकार एलआईसी के एक हिस्से को बेचेगी तो विपक्षी सांसदों ने जोरदार हंगामा किया। बजट के दो दिन बाद भी अब तक एलआईसी को लेकर सरकार के प्लान पर चर्चा चल रही है। वित्त सचिव राजीव कुमार का कहना है कि अगले छह महीने के अंदर एलआईली का आईपीओ आ जाएगा। विपक्ष का कहना है कि इससे आम लोगों की वह पूंजी डूब जाएगी, जिन्हें उन्होंने अपने भविष्य के लिए संजोकर रखा है। हालांकि इस पर एक्सपर्ट्स की अलग राय है।

कंपनी में आएगी पारदर्शिता: इनवेस्टमेंट मार्केट के एक्सपर्ट के मुताबिक एलआईसी की लिस्टिंग के बाद यह कंपनी भी वित्तीय बाजार के उतार-चढ़ाव का सामना करेगी। लेकिन इसके साथ ही एलआईसी की गर्वनेंस में भी सुधार होगा। वह इसलिए क्योंकि एलआईसी को शेयर बाजार में लिस्टिंग होने पर सेबी के नियमों का पालन करना होगा। इससे कंपनी की कॉरपोरेट गवर्नेंस मजबूत होगी। इसके अलावा कंपनी को हुए मुनाफे से पॉलिसी होल्डर्स को भी अच्छा रिटर्न मिल सकता है।

बीमा बाजार में बढ़ेगी प्रतिस्पर्धा: बीमा मार्केट की जानकारी रखने वाले एक एक्सपर्ट ने कहा कि इससे अन्य कंपनियों के बीच भी प्रतिस्पर्धा होगी। एलआईसी के मार्केट में आने से अन्य कंपनियों पर भी प्राइसिंग, प्रोडक्ट फीचर और सेवाओं को लेकर सुधार का दबाव होगा। इसके अलावा क्योंकि बड़ा हिस्सा सरकार पर ही रहने वाला है। इसलिए कंपनी पर कोई असर भी नहीं होगा।

छा जाएगी LIC, पीछे होंगे अरामको और RIL?: इस बीच शेयर बाजार के कुछ एक्सपर्ट्स का अनुमान है कि कंपनी लिस्टिंग में आते ही तमाम रिकॉर्ड तोड़ सकती है। पैसा जुटाने के मामले में एलआईसी सऊदी अरब की तेल कंपनी अरामको जैसा प्रदर्शन करते हुए रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड को भी पछाड़ते हुए देश की सबसे बड़ी लिस्टेड कंपनी बन सकती है।