केंद्र सरकार के नए प्रस्ताव के तहत सरकार लैपटॉप और कंप्यूटर के आयात की अनुमति केवल विश्वसनीय जगहों से ही दी जा सकती है। केंद्र एक ऐसे प्रस्ताव पर काम कर रहा है जिसके तहत लैपटॉप, पर्सनल कंप्यूटर और सर्वर जैसे आईटी हार्डवेयर केवल विश्वसनीय क्षेत्रों से आयात किए जा सकते हैं। इस कदम का उद्देश्य भारत और चीन के बीच गहराते मतभेद के बीच चीन से आयात पर अंकुश लगाना है।
यह उपाय आईटी हार्डवेयर कंपनियों को नई सप्लाई चेन स्थापित करने के लिए मजबूर कर सकता है, क्योंकि चीन को एक विश्वसनीय क्षेत्र की केटेगेरी में डाले जाने की संभावना नहीं है। ड्राफ्ट में इस प्रस्ताव को आयात प्रबंधन प्रणाली (Import Management System) के रूप में बताया गया है जिसके माध्यम से सरकार उन स्रोतों की निगरानी करेगी जहां से आईटी हार्डवेयर आयात किया जा रहा है।
भारत में लैपटॉप और कंप्यूटर के निर्माण में आएगी तेजी
यह कदम लैपटॉप और पर्सनल कंप्यूटर के आयात के लिए लाइसेंसिंग को लागू करने के केंद्र के प्रयास के कुछ हफ्तों बाद आया है। इस बात की पुष्टि इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने भी कि केवल विश्वसनीय स्रोतों से आईटी हार्डवेयर आयात की अनुमति देने का प्रस्ताव वर्तमान में विचाराधीन है। उन्होंने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “आईटी हार्डवेयर मैन्यूफैक्चरिंग की योजना के साथ, भारत में लैपटॉप और कंप्यूटर के निर्माण में तेजी आने वाली है। इसके अलावा, हम मानते हैं कि घरेलू आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए आयात एक कंपोनेंट रहेगा, खासकर उच्च-प्रदर्शन वाले क्षेत्र में।”
भारतीय अर्थव्यवस्था पर चीनी प्रभाव
मंत्री ने कहा, हम एक आयात प्रबंधन प्रणाली स्थापित करना चाहते हैं जो विक्रेता पर यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी डालती है कि उनकी आपूर्ति केवल विश्वसनीय स्रोतों से हो। हम देख रहे हैं कि विदेशी आपूर्ति शृंखला अधिक विश्वसनीय होती जा रही है और इसके स्रोत आज की तुलना में कहीं अधिक विश्वसनीय हैं।” भारत जब भी देश से आयात पर रोक लगाता है तो आमतौर पर चीन का नाम लेकर कभी उल्लेख नहीं करता। सरकार भारतीय अर्थव्यवस्था पर चीनी निर्यात के महत्वपूर्ण प्रभाव को लेकर सतर्क है, जिसे सरकार बदलना चाहती है।