भारतीय अर्थव्यवस्था पिछले दो वर्षों में दुनिया की सबसे तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है। लेकिन, इस दौरान नौकरियों के सृजन के मामले में स्थिति अच्छी नहीं रही है।

बुधवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भारत की आर्थिक वृद्धि दर पिछले 15 महीने के निचले स्तर 7.1 फीसदी पर आ गई, जबकि साल 2015-16 में इसी दौरान यह 7.5 फीसदी थी। इसके बावजूद भी विश्व की अन्य बड़ी अर्थव्यवस्थओं की तुलना में भारतीय अर्थव्यस्था की वृद्धि दर बेहतर है। लेकिन, नई नौकरियों के सृजन में इसका कोई लाभ नहीं मिल रहा है। भारत में हर महीने करीब 10 लाख लोगों को नौकरी की जरूरत है और इस डिमांड के हिसाब से नए जॉब के अवसर बहुत कम पनप पा रहे हैं।

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 2015 में जॉब क्रिएशन में दो तिहाई की कमी दर्ज की गई। एचडीएफसी बैंक के विश्लेषकों के मुताबिक अर्थव्यवस्था में हर एक परसेंटेज पॉइंट की बढोत्तरी की तुलना में रोजगार के अवसरों में मात्र 0.15 परसेंटेज पॉइंट की वृद्धि दर्ज की जा रही है। वर्ष 2000 में यह आंकड़ा 0.39 परसेंटेज पॉइंट था। यह आंकड़े केंद्र सरकार को परेशान करने वाले साबित हो सकते हैं। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा चुनावों के दौरान देश के युवाओं से 2.5 करोड़ नई नौकरियों के सृजन का वादा किया था।

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भारत की कुल आबादी का लगभग दो तिहाई हिस्सा 35 वर्ष से कम उम्र का है। इस हिसाब से भारत में कामगार युवाओं की संख्या सबसे ज्यादा है। वर्ष 1991 से 2013 के बीच भारत की अर्थव्यस्था 6.5 प्रतिशत सालाना की औसत दर से बढ़ी है। इन सब सकारात्मक परिस्थितियों के बावजूद नई नौकरीरियों के सृजन की गति जरूरत के हिसाब से आधी है।

मोदी के नेतृत्व में सरकार ने विदेशी निवेश की सीमा बढ़ायी है और नियमों में ढील दी है, इसका मकसद मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में नए जॉब्स के अवसर उपलब्ध कराना है। छोटे कामगारों को ऋण उपलब्ध कराने के लिए मुद्रा योजना की शुरूआत हुई है और नए स्टार्टअप्स के लिए सरकार की तरफ से 1.5 करोड़ डॉलर की योजना भी है। केंद्र सरकार ने स्किल्ड इंडिया प्रोग्राम के तहत 6 साल के अंदर 40 लाख लोगों को हुनरमंद बनाने के लिए ट्रेनिंग देने का लक्ष्य रखा है।

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इन सबके बावजूद बेरोजगारों की तादात बढ़ी है। अगस्त में उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में सफाईकर्मियों के 1778 पदों के लिए लगभग 50 लाख लोगों ने आवेदन भेजे थे। आवेदन करने वालों में बड़ी संख्या ग्रेजुएट और पोस्ट-ग्रेजुएट उम्मीदवारों की थी।

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भारत में रोजगार के सबसे ज्यादा अवसर उपलब्ध कराने वाले दो क्षेत्र कृषि तथा कन्स्ट्रक्शन सूखे और मंदी की मार झेल रहे हैं। इसलिए रोजगार के अवसरों में बेतहाशा कमी दर्ज की गई है। नोएडा और एनसीआर में
कन्स्ट्रक्शन कंपनियों को वर्कर्स उपलब्ध कराने वाले कॉन्ट्रैक्टर भुवन महतो बताते हैं, ‘रियल स्टेट सेक्टर में वर्कर्स की डिमांड 25 प्रतिशत तक कम हो गई है। मुझे अफसोस है की मैने इस क्षेत्र को क्यों चुना।’