नया वाहन खरीदने वालों को वाहन की लागत और बीमा प्रीमियम का भुगतान अलग-अलग चेक के जरिये करना पड़ सकता है। दरअसल,  बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) की समिति ने ये सिफारिश की है।

इरडा ने प्रक्रिया को तर्कसंगत करने की मंशा से 2017 में  मोटर बीमा सेवा प्रदाता (एमआईएसपी) दिशानिर्देश जारी किए थे। साथ ही इसका मकसद वाहन डीलरों द्वारा बेचे जाने वाले वाहन बीमा को बीमा कानून-1938 के प्रावधानों के तहत लाना था। एमआईएसपी से तात्पर्य बीमा कंपनी या किसी बीमा मध्यवर्ती इकाई द्वारा नियुक्त वाहन डीलर से है, जो अपने द्वारा बेचे जाने वालों वाहनों के लिए बीमा सेवा भी उपलब्ध कराता है।

नियामक ने 2019 में एमआईएसपी दिशानिर्देशों की समीक्षा के लिए एक समिति गठित की थी। समिति ने एमआईएसपी के जरिये मोटर बीमा कारोबार के व्यवस्थित तरीके से परिचालन के लिए अपनी रिपोर्ट में कई सिफारिशें की हैं।

समिति ने अन्य मुद्दों के अलावा मोटर वाहन बीमा पॉलिसी करते समय ग्राहकों से प्रीमियम भुगतान लेने के मौजूदा व्यवहार की भी समीक्षा की।समिति ने कहा कि मौजूदा प्रणाली में ग्राहक द्वारा वाहन डीलर से पहली बार वाहन खरीदने पर बीमा प्रीमियम के भुगतान की लागत को लेकर पारदर्शिता का अभाव है। इसमें ग्राहक द्वारा एक ही चेक से भुगतान किया जाता है।

एमआईएसपी अपने खातों से बीमा कंपनी को भुगतान करते हैं, ऐसे में ग्राहक यह नहीं जान पाता कि उसके द्वारा दिया गया बीमा प्रीमियम कितना है, क्योंकि यह वाहन की लागत में ही समाहित होता है।

समिति ने कहा है कि पारदर्शिता की कमी पॉलिसीधारक के हित में नहीं है, क्योंकि ग्राहक बीमा की सही लागत नहीं जान पाता। साथ ही ग्राहक को कवरेज के विकल्प और रियायत आदि की भी जानकारी नहीं मिल पाती।